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कोने-कोने में फर्जी… नक्सली बनकर सरेंडर करने थाने पहुंचे… पैसे-मकान के लिए फ्राड किया और पहुंच गए जेल

छत्तीसगढ़ में फर्जीवाड़े की ऐसी इंतेहा है कि असामाजिक तत्व फ्राड करने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहते। गुरुवार को बालोद एसपी के दफ्तर में तीन युवक पहुंचे और बताया कि नक्सली हैं, सरेंडर करने आए हैं। तीनों खुद को माओवादियों की मानपुर-मोहला एरिया कमेटी का सक्रिय सदस्य बता रहे थे। तीनों के पास बंदूकें नहीं थीं। पुलिस ने पूछताछ की, तो थोड़ी ही देर में पता चल गया कि तीनों नक्सली नहीं बल्कि फ्राड हैं। बालोद कोतवाली पुलिस ने तीनों को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन इस मामले के एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो गया है कि कहीं इससे पहले कुछ युवकों ने ऐसा फ्राड सफलतापूर्वक अंजाम तो नहीं दे दिया है।

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के सरेंडर पर उन्हें पुनर्वास पालिसी का लाभ मिलता है। नक्सल कैडर के हिसाब से घर के साथ-साथ कैश में भी मदद मिलती है। इसी का फायदा उठाने के लिए युवकों ने ऐसा फर्जीवाड़ा किया। पुलिस ने तीनों युवकों के नाम मधु मोड़िया,, मनकू भोगाम,, और ओमप्रकाश नेताम बताए हैं। तीनों मोहला-मानपुर या राजनांदगांव के बजाय बीजापुर के रहनेवाले हैं और योजनाबद्ध तरीके से बालोद पहुंचे थे। पुलिस ने अलग-अलग धाराओं में केस रजिस्टर किया है और पता लगा रही है कि आखिर तीनों ने फ्राड का यह तरीका ही क्यों चुना। इस मामले से सुनियोजित तरीके से सरेंडर में किसी गैंग के आपरेट करने की आशंका भी होने लगी है। सभी पहलुओं पर पुलिस जांच कर रही है और इस पर उच्चस्तरीय नजर भी है।

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