क्या राजधानी समेत प्रदेश के शहरों में सफाई के इंतजाम धराशायी हैं… कलेक्टरों को रोजाना सुबह 7 बजे से पहले वार्डों में जांच के निर्देश

राजधानी रायपुर समेत प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों में ट्रिपल इंजन वाली सरकार है। हर जगह महापौर भाजपा से हैं। हर शहर में सड़कों से गलियों और मोहल्लों तक बेतहाशा गंदगी की शिकायतें बढ़ने लगी हैं। चूंकि महापौर भाजपा से हैं, इसलिए सफाई इंतजाम में सुधार के लिए रास्ता निकाला गया है, ताकि गंदगी दूर हो और भाजपा की शहर सरकारों के कामकाज पर उंगलियां भी नहीं उठें। संभवतः इसीलिए सरकार की तरफ से कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि अब सभी को रोजाना सुबह 7 बजे से पहले उनके शहरों में वार्डों के सफाई इंतजाम का जायजा लेना होगा। यही नहीं, हर कलेक्टर से सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि वे नगर निगमों और नगर पालिकाओं ममें इस बात की समीक्षा लगातार शुरू कर दें कि निकायों के अफसर क्या काम कर रहे हैं। इसका सीधा आशय यही लगाया जा रहा है कि नगर निगमों और नगर पालिकाओं के प्रशासन को एक तरह से निगम कमिश्नरों और नगरपालिका सीईओ के कामकाज पर भरोसा कम हुआ है, इसलिए कलेक्टरों को ऊपर बिठाया गया है। कलेक्टरों से कहा गया है कि वे नगरीय निकायों में किए जा रहे स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन के कार्यों की नियमित मानीटरिंग शुरू कर दें।
शहर सरकारें और निकायों के अफसर भले ही कलेक्टरों को निरीक्षण में लगाने के मामले को अलग-अलग तरह से इंटरप्रीट करें, लेकिन सच्चाई यही है कि शहरों में सफाई की बागडोर अघोषित तौर पर कलेक्टरों को सौंपी जा रही है। क्योंकि सफाई इंतजाम और अफसरों के कामकाज की रेगुलर मानीटरिंग अब कलेक्टरों को करनी है। शहरों में ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई, सरकार को क्यों कलेक्टरों को मानीटरिंग में लगाना पड़ा, इस सवाल को या तो नकारा जा सकता है या घुमा-फिराकर जवाब देने की कोशिश हो सकती है, लेकिन कोई भी नगरीय निकाय यह मानने के लिए तैयार नहीं होगा कि उनके यहां सफाई इंतजाम धराशायी हो चुके हैं। राजधानी समेत शहरों में कलेक्टरों का वार्डों में जायजा लेना का सिलसिला कल यानी सोमवार से शुरू होने वाला है। कलेक्टरों से यह उम्मीद की जा रही है कि वे वास्तविक स्थिति रखें और कड़ी मानीटरिंग करते हुए हालात सुधारने में लगें, न कि यह बताने लगें कि सफाई के मामले में छत्तीसगढ़ का हर शहर चकाचक है और पूरे देश में हमारा नाम है।