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रायपुर निगम सभापति के लिए भाजपा में हलचल शुरू, कुछ सीनियरों के नाम उछले… नेता प्रतिपक्ष का पद निकाय के संविधान में नहीं, इसलिए संख्या बल ज़रूरी नहीं

रायपुर नगर निगम में भाजपा के 60 पार्षद हैं, इसलिए सभापति भाजपा का ही बनेगा। सभी निगमों में भाजपा के पार्षद अधिक हैं, इसलिए हर निगम में भाजपा ही अपना सभापति भी बनाएगी। रायपुर में इस पद को लेकर भाजपा के कुछ सीनियर पार्षदों की हलचल सुनाई दे रही है। यह बात अलग है कि पंचायत चुनाव पूर्ण होने यानी 23 फ़रवरी तक भाजपा इस मुद्दे पर विचार ही नहीं करेगी। बता दें कि प्रदेश के किसी निगम में कांग्रेस इस पद की दौड़ में ही नहीं है, क्योंकि सभी जगह कांग्रेस पार्षदों की संख्या आधे से कम और बहुत कम भी है।

नगर निगमों में कांग्रेस के जो भी पार्षद जीतकर आए हैं, उनमें अधिकांश नेता प्रतिपक्ष बनने का प्रयास करेंगे। रायपुर को लेकर कांग्रेस पार्षदों में चर्चा छिड़ गई है कि पार्षद कम हैं, ऐसे में यहां संख्या के हिसाब से नेता प्रतिपक्ष बनाने का मौका मिलेगा या नहीं। द स्तंभ ने इस सिलसिले में स्थानीय चुनाव के जानकार अफसरों से बात की। उन्होंने बताया कि नगरीय निकायों के संविधान में नेता प्रतिपक्ष नाम का कोई पद ही नहीं है, जैसा संसद या विधानसभा में होता है। यहां कोई भी पार्टी अपने पार्षदों में से किसी एक को नेता प्रतिपक्ष चुन सकती है, भले ही उसके पार्षदों की संख्या कितनी ही कम क्यों न हो। लेकिन चुना गया व्यक्ति अपनी ही पार्टी के पार्षदों के लिए नेता प्रतिपक्ष या उनके लीडर की तरह होगा। इस पद को संवैधानिक तौर पर नगर निगम से कोई मान्यता नहीं मिलेगी और नगरीय निकाय कानून के तहत प्रशासन नेता प्रतिपक्ष को पार्षद जैसा ही ट्रीट किया जाएगा।

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