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ई-रिक्शा बैटरी रिचार्ज करने क्रेडा ने बनाया सोलर एनर्जी स्वैपिंग स्टेशन… सोलर पैनल वाला रिक्शा भी बनाया, जिसे चार्ज करने की जरूरत कम

छत्तीसगढ़ क्रेडा ने ई-रिक्शा के मामले में दो बड़े और कामयाब प्रयोग कर डाले हैं। पहला प्रयोग ई-रिक्शा को रिचार्ज करने वाला स्वैपिंग स्टेशन है, जो सोलर एनर्जी से काफी बिजली खुद ही बना डालेगा। यह रास्ता चल रहे ई-रिक्शा की बैटरी को बहुत तेजी से और कम खर्च में फुल चार्ज करने में सक्षम है। इसी तरह, क्रेडा ने ई-रिक्शा को सोलर पैनल लगाकर सौर ई-रिक्शा में कन्वर्ट कर दिया है। इसकी खास बात ये है कि सोलर ऊर्जा से इसकी बैटरी चार्ज होती रहेगी, अर्थात इसे कम से कम रीचार्ज करने की जरूरत पड़ेगी। सीएम विष्णुदेव साय ने रायपुर के क्रेडा कार्यालय परिसर में अक्षय ऊर्जा के 50 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट का लोकार्पण व भूमिपूजन किया। इस दौरान उनके साथ विधानसभा स्पीकर डा. रमन सिंह भी थे। सीएम ने सौर ऊर्जा संचालित बैटरी स्वैपिंग स्टेशन और सामान्य से सौर ऊर्जा में परिवर्तित ई रिक्शा का लोकार्पण भी किया।

क्रेडा सीईओ राजेश सिंह राणा ने बताया कि सौर संचालित बैटरी स्वैपिंग स्टेशन क्रेडा द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में डेवलप किया गया हैा। इससे ई-रिक्शा चालक कम समय में सस्ते दर पर डिस्चार्ज बैटरी को चार्ज बैटरी से बदल सकते हैं। एक और फायदा यह होगा कि ई-रिक्शा चालक प्रतिदिन अधिक दूरी तय कर पाएंगे, जिससे आमदनी बढ़ेगी। इसी तरह, सोलर पैनल आधारित नया ई-रिक्शा साधारण ई-रिक्शा के मुकाबले काफी कम खर्च पर चलता रहेगा। साधारणतः रिक्शा चालक बैटरी चार्जिंग समस्या के कारण अधिक दूरी तय नहीं कर पाते हैं। ई-रिक्शा में सौलर पैनल लगाकर क्रेडा ने इस मुश्किल को काफी हद तक दूर किया है।

राजधानी रायपुर में रविवार को सीएम साय ने अक्षय ऊर्जा से जुड़े जिन प्रोजेक्ट और कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास किया, उनमें 29 लाख का सोलर बैटरी स्वैपिंग स्टेशन, सामान्य ई-रिक्शा को कन्वर्ट कर बनाया गया सोलर ई -रिक्शा, नियद नेल्लानार योजना अंतर्गत स्थापित 54 सोलर हाई मास्ट लाइट्स, 152 सोलर ड्यूल पंप एवं दो सोलर पावर प्लांट शामिल हैं। सीएम साय ने कहा कि रामनवमी की शुभ घड़ी में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े कामों की शुरुआत हुई है। स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पूरी दुनिया स्वच्छ पर्यावरण के लिए अक्षय ऊर्जा को अपना रही है। अब फॉसिल फ्यूल का उपयोग धीरे धीरे कम होगा और आने वाले समय में नवीकरणीय ऊर्जा से यह रिप्लेस हो जाएगा।

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