राजधानी के अम्बेडकर अस्पताल में अब कोरोनरी बाईपास भी… प्रदेश के किसी भी सरकारी चिकित्सा संस्थान में पहली बार

रायपुर मेडिकल कालेज से अटैच प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अम्बेडकर अस्पताल में वर्षों के इंतजार के बाद हार्ट की कोरोनरी बाईपास सर्जरी की शुरुआत हो गई। इसी के साथ अम्बेडकर अस्पताल प्रदेश का पहला सरकारी चिकित्सा संस्थान बन गया, जहां ऐसी जटिल हार्ट सर्जरी की शुरुआत हुई। हार्ट सर्जन डा. कृष्णकांत साहू के मुताबिक दुर्ग के 72 साल के मरीज की कामयाब कोरोनरी हार्ट सर्जरी की गई और वह पूरी तरह स्वस्थ है। पहली कोरोनरी बाईपास सर्जरी करने वाली टीम ने सुविधाएं दिलवाने तथा प्रोत्साहन के लिए स्वास्थ्य सचिव अमित कटारिया और अफसरों के साथ-साथ मेडिकल कालेज के डीन डा. विवेक चौधरी का आभार जताया है।
हार्ट सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि मरीज सरकारी नौकरी से रिटायर्ड हुए थे। डेढ़ महीने पहले छाती में तेज दर्द के कारण उन्हें स्थानीय हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। एंजियोग्राफी में पता चला कि हृदय की मुख्य नस (लेफ्ट मेन कोरोनरी आर्टरी) में 65 प्रतिशत ब्लॉकेज एवं साथ ही साथ अन्य तीनों नसों में 90 से 95 प्रतिशत ब्लॉकेज था। नसों में ब्लॉकेज इतना ज्यादा था कि वहाँ के डॉक्टरों ने एंजियोप्लास्टी से मना कर दिया और बड़े संस्थान में रेफर किया। इकोकार्डियोग्राफी से पता चला कि हार्ट बहुत ही ज्यादा कमजोर हो गया था। मात्र 35 से 40 प्रतिशत ही कार्य कर रहा था। इसको मेडिकल भाषा में लेफ्ट मेन (65 प्रतिशत) विद ट्रिपल कोरोनरी आर्टरी डिजीस विद सीवियर लेफ्ट वेंट्रिकुलर डिस्फंक्शन कहा जाता है। मरीज एवं रिश्तेदार एंजियोग्राफी की सीडी लेकर अम्बेडकर अस्पताल पहुंचे। वे अम्बेडकर अस्पताल के हार्ट सर्जरी विभाग में ही बाईपास करवाना चाह रहे थे, लेकिन उन्होंने इसके लिए डेढ़ माह तक इंतजार किया। डा. साहू ने बताया कि यह सर्जरी सामान्य कोरोनरी बाईपास से ज्यादा क्रिटिकल इसलिए थी, क्योंकि मरीज के हार्ट की तीनों नसों के ब्लॉकेज के साथ-साथ मुख्य नस में भी ब्लॉकेज था। ऐसे में कई तरह के खतरे हो सकते थे। इसलिए इस मरीज में बाईपास में आर्टेरियल ग्राफ्ट (लेफ्ट इन्टरनल मेमेरी आर्टरी ) एवं सैफेनस वेन का प्रयोग किया गया। क्योंकि आर्टेरियल ग्राफ्ट की लाइफ ज्यादा होती है। ऑपरेशन के दौरान मरीज की एलएडी (लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी)इन्ट्रामस्कुलर थी जिसको सर्जरी के दौरान ग्राफ्टिंग करना जटिल होता है।
जानें कोरोनरी आर्टरी डिसीज और बाईपास को
बाईपास सर्जरी में छाती को खोला जाता है परंतु हार्ट के चेंबर को नहीं खोला जाता। यह तब किया जाता है जब हार्ट के मांसपेशियों को सप्लाई करने वाली नस में ब्लॉकेज होता है। इसको कोरोनरी आर्टरी डिजीज कहा जाता है। इस ऑपरेशन में छाती के अंदर से (इंटरनल मेमरी आर्टरी), हाथ से रेडियल आर्टरी एवं पैरों से सैफेनस वेन (saphanous) को निकाल कर हार्ट की नस (कोरोनरी आर्टरी) से (ब्लॉकेज का बाईपास) जोड़ दिया जाता है जिससे हार्ट की नसों में पुनः रक्त प्रवाह प्रारंभ हो जाता है। यह बाईपास सर्जरी हार्ट लंग मशीन की सहायता से हो तो उसको ऑन पंप सीएबीजी कहा जाता है और बिना हार्टलंग मशीन की सहायता से होता है तो उसे ऑफ पंप बीटिंग हार्ट सर्जरी कहा जाता है।