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हार्ट व किडनी की नसों में ब्लाकेज, एसीआई में बलून-लेजर तकनीक से इलाज…विश्व में पहले ट्रीटमेंट का दावा

एसीआई के एचओडी डा. स्मित श्रीवास्तव और टीम ने किया ट्रीटमेंट, मरीज स्वस्थ

छत्तीसगढ़ के सबसे बड़ी सरकारी डा. अंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में 66 साल के एक मरीज के दिल और किडनी, दोनों के लगभग फेल होने की स्थिति में एक्जाइमर लेजर तकनीक से कामयाब इलाज कर दिया गया। शरीर के दोनों प्रमुख आर्गन का लेजर एंजियोप्लास्टी से यह ट्रीटमेंट एसीआई के एचओडी डा. स्मित श्रीवास्तव और उनकी टीम ने किया है। मेडिकल लिटरेचर के मुताबिक लेजर एंजियोप्लास्टी के इस केस को दुनिया में पहला माना जा रहा है। मरीज का हार्ट और किडनी, दोनों को ही फेल होने की स्थिति से बचा लिया गया है। वह स्वस्थ है और अस्पताल से छुट्टी दी जा रही है।

डा. श्रीवास्तव ने बताया कि दोनों इंटरवेंशनल प्रोसीजर को लेफ्ट रीनल आर्टरी क्रॉनिक टोटल ऑक्लूशन एवं इन स्टंट री-स्टेनोसिस ऑफ कोरोनरी आर्टरी कहा जाता है। यह पहला केस था, जिसमें किडनी की नस में 100 प्रतिशत रुकावट थी। इससे किडनी तो खराब हो ही रही थी, मरीज का बीपी कंट्रोल में ही नहीं आ रहा था। ऐसे में किडनी फेल होने का खतरा पैदा हो गया था। डा. श्रीवास्तव के मुताबिक किडनी को खून की आपूर्ति करने वाली दोनों नसों में 100 और 80 फीसदी ब्लॉकेज था। इससे किडनी में खून का प्रवाह बिलकुल बंद हो गया। मरीज के हार्ट की मुख्य नस में ब्लॉकेज था। उसे निजी अस्पताल में 2023 में स्टेंट लगा था, जो पूरी तरह ब्लाक हो चुका था। मरीज सांस नहीं ले पा रहा था, बीपी लगातार हाई था और हार्ट फेल्योर हाइपरटेंशन की स्थिति पैदा हो गई थी।

ऐसी की मरीज की लेजर एंजियोप्लास्टी

डा. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि मरीज की सबसे पहले लेफ्ट रीनल आर्टरी में कठोर ब्लॉकेज होने से एक्जाइमर लेजर से रास्ता बनाया। फिर इस रास्ते को बलून से बड़ा किया और स्टेंट लगाकर नली खोल दी गई। इससे किडनी में खून जाने लगा और बीपी सामान्य होने लगा। इसके बाद हार्ट में जिस स्टेंट के आसपास 90 फीसदी रुकावट थी, वहां भी लेजर से रास्ता बनाया गया, फिर बलून से इसे बड़ा करते हुए नया स्टंट डालकर ब्लाक खोल दिया गया। ये दोनों प्रक्रियाएं सफ़ल रहीं। मरीज अब ठीक है तथा डिस्चार्ज लेकर घर जाने को तैयार है।

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