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भूपेश बघेल का वारः निगम-मंडल अध्यक्षों के शपथग्रहण में फूंके गए करोड़ों रुपए… जनता के पैसे की इस बर्बादी की होनी चाहिए जांच

कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव तथा छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने निगम-मंडल अध्यक्षों के शपथग्रहण समारोहों में सब मिलाकर करोड़ों रुपए की फिजूलखर्ची का आरोप लगाते हुए नवनियुक्त पदाधिकारियों पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि निगम, मंडल और आयोगों में नियुक्ति हर सरकार करती है, उसी तरह इस बार भी की गई। लेकिन इस बार हर नवनियुक्त पदाधिकारी ने पदभार ग्रहण के नाम पर लाखों रुपए फूंके, शहर में पोस्टर लगाए और विज्ञापनों में रकम खर्च की गई। सारे शपथ ग्रहण समारोहों को देखा जाए तो नियुक्त होते ही पदाधिकारियों ने आम जनता के पैसों की बर्बादी शुरू कर दी है। भूपेश बघेल ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोहों में कितने पैसे फूंके गए, इसकी जांच होनी चाहिए और इस फिजूलखर्ची का हिस्सा संबंधित पदाधिकारियों से लिया जाना चाहिए।

भूपेश बघेल ने शुक्रवार को राजधानी रायपुर में मीडिया से बातचीत में कहा कि किसान बरसात की फसल के लिये तैयारी कर रहे हैं, लेकिन बीज और खाद की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कारण बहुत ज्यादा समस्याओं का सामना करना होगा। कवर्धा में गन्ना उत्पादक किसानों को फसल की कीमत नही मिल रही है। पिछली सरकार में साल में 4 महीने गन्ना खरीदा जाता था, लेकिन अब 44 दिन ही खरीदी हुई है। यह किसान विरोधी प्रवृत्ति है। पूर्व सीएम भूपेश ने आरोप लगाया कि सुशासन त्योहार में आम लोगों से आवेदन लिए गए हैं, लेकिन पावती नहीं दी गई। मस्तूरी विधानसभा में आयोजित सुशासन तिहार में जनता ने आवेदन के निराकरण की जानकारी मांगी, तो अधिकारियों ने पावती मांग ली जो किसी के पास नहीं थी। इसके बाद आम लोग भड़क गए और अफसरों को भागना पड़ा। पूर्व सीएम ने भाजपा नेताओं पर खदानों में अवैध उत्खनन और कोयला-लोहा में कमीशनखोरी में संलिप्तता के आरोप भी लगाए हैं।

कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल ने कहा कि नक्सल आपरेशंस के मामले में स्पष्ट करना चाहिए कि कितने नक्सली मारे गए और कहीं ग्रामीणों को तो नहीं माना जा रहा है। भूपेश ने कहा कि पिछले समय तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए जंगल गए ग्रामीणों को भी मार दियता गया था। उन लोगों को अब तक मुआवजा भी नहीं दिया जा सका है। भूपेश बघेल ने दोहराया कि झीरम और पहलगाम हमले में समानता यह है कि दोनों जगह सुरक्षा नही थी। झीरम घाटी में कांग्रेसियों को नाम पूछकर मारा गया, तो पहलगाम में धर्म पूछकर। आज तक नक्सलवादी और आतंकवादी हमलों में ऐसा नहीं हुआ है।

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