स्काईवाक का शुरुआती जल्दबाजी, विवाद और देरी से नहीं छूटा पीछा… जिस कंपनी को मई में टेंडर के बाद 10 माह में काम करना था, दो माह में अपने दफ्तर का ढांचा नहीं बना सकी

राजधानी के सबसे विवादित निर्माण स्काईवाक को लेकर किसने गलती की, अब इस पर भी कई शक पैदा हो गए हैं। सीएजी (कैग) की रिपोर्ट ने साफ कर दिया है कि जिस वक्त स्काईवाक का काम शुरू हुआ था, तत्कालीन यानी भाजपा सरकार ने इसे शुरू करने में बहुत जल्दबाजी और लापरवाही कर दी थी। अब तक भाजपा ही कहती रही है कि कांग्रेस सरकार ने पांच साल में स्काईवाक को बर्बाद कर दिया, वर्ना यह बहुत काम का हो सकता था। बहरहाल, इस मामले में सही-गलत पर बहुत धुंधलका हो गया है, और अब दोबारा इसका निर्माण शुरू करने के सवाल पर भी गहरे-काले बादल छाए हुए हैं। जिस कंपनी को इसे जून में काम शुरू करके 10 माह में पूरा करना था, दो माह होने तक कंपनी अपने छोटे से अस्थायी दफ्तर का बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर तक नहीं खड़ा कर पाई है। इसे लेकर पीडब्लूडी महकमे के अफसरों की निगाहें भी सवालिया हैं, क्योंकि उनके पास जवाब नहीं है कि 10 माह में स्काईवाक कैसे पूरा हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ शासन ने राजधानी में कबाड़ हो रहे स्काईवाक को पूरा करने के लिए लंबा-चौड़ा सर्वे करवाने के बाद इसे पूरा करवाने का फैसला लिया। काम पूरा होने की लागत 37 करोड़ रुपए आंकी गई और मई में टेंडर अलाट कर दिया गया। जिस फर्म को काम दिया गया, उसे निर्माण 20 जून को शुरू करना था। मई में टेंडर हासिल करने के बाद कंपनी ने राजधानी में अपने छोटे से अस्थायी दफ्तर का निर्माण शुरू करवाया। बताया जा रहा है कि इसका सिविल भी पूरा नहीं हुआ है, फिनिशिंग पूरी बाकी है। स्काईवाक का काम जिस तारीख को शुरू होना था, उससे एक माह बीत चुका है, लेकिन अब तक एक हथौड़ा नहीं पड़ा है। सबसे दिसचस्प बात ये है कि जिस तहसील दफ्तर में स्काईवाक की एक सीढ़ी उतारी गई थी, वहां अब तहसील दफ्तर है ही नहीं। यह काफी दिन पहले हेल्थ डायरेक्टर वाली बिल्डिंग में शिफ्ट हो चुका है।