The Stambh Analysis : भाजपा-कांग्रेस के घोषणापत्रों में किन रियायतों का पिटारा… क्या प्रापर्टी टैक्स में राहत… क्या पानी-बिजली में छूट… कुछ तो आसान होगा
नगरीय निकाय चुनावों के भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस, दोनों ने ही घोषणापत्र पर पूरी तरह फोकस कर लिया है। भाजपा की घोषणापत्र समिति के संयोजक तथा सीनियर विधायक अमर अग्रवाल ने बुधवार को मोबाइल नंबर 91110 14440 तथा ई-मेल आईडी morsujhao@bjpcg.com जारी कर आम लोगों से पूछा है कि वे किस तरह का घोषणापत्र चाहते हैं। भाजपा का कहना है कि इस बार का घोषणापत्र जनता से मिले सुझावों पर आधारित रहेगा। इधर, कांग्रेस ने भी बुधवार को घोषणापत्र समिति की दूसरी बैठक कर ली है और कुछ रियायतों पर बात चल रही है। इस बैठक में संयोजक सत्यनारायण शर्मा के अलावा पूर्व मंत्री मोहम्मद अकबर, रुद्र गुरु, अनिला भेड़िया, अमितेष शुक्ल तथा पूर्व मेयर एजाज ढेबर समेत पूर्व विधायक तथा पूर्व मेयर मौजूद थे। जहां तक घोषणापत्रों का सवाल है, दिल्ली में चुनाव चल रहे हैं और पूरे देश को पता है कि भाजपा और कांग्रेस से लेकर आप पार्टी तक ने लोगों के लिए किस तरह रियायतों का पिटारा खोल दिया है। घोषणापत्रों से इसी तरह की उम्मीद की जा रही है, इसलिए सबकी निगाहें लगी हैं कि किस तरह की घोषणाएं ज्यादा रियायत देने वाली होंगी।
नगरीय निकाय तथा पंचायती चुनावों में निकायों और पंचायती इकाइयों से बहुत अधिक रियायतों की उम्मीद नहीं की जाती है। वजह ये है कि नगरीय निकायों के लोगों का वास्ता प्रापर्टी टैक्स के अलावा कुछ तरह के सर्टीफिकेट्स को लेकर ही पड़ता है। यही स्थिति पंचायती संस्थाओं की भी है। नगरीय निकाय वाटर सप्लाई करते हैं, स्ट्रीट लाइटें और अंदर की सड़कों का निर्माण भी होता है। इसमें वाटर सप्लाई को लेकर ही कुछ रियायत मिल सकती है। राजधानी रायपुर में चौबीस घंटे वाटर सप्लाई की लाइनें बिछाई गई हैं, सैकड़ों घरों में वाटर मीटर लग गए हैं, यानी जल्दी पानी का बिल आएगा। भाजपा और कांग्रेस के घोषणापत्रों में क्या इस पर कोई बात हो सकती है, जिससे आम लोगों को रियायत के अनुसार राहत मिल जाए। स्थानीय निकाय आम लोगों से प्रापर्टी टैक्स लेते हैं। प्रापर्टी टैक्स मिडिल क्लास पर हर साल का बड़ा बोझ है और इसमें कोई छूट वगैरह नहीं मिलती। क्या दोनों दल अपने घोषणापत्र में प्रापर्टी टैक्स में किसी बड़ी रियायत पर बात कर सकते हैं। बात यह भी आ रही है कि अगर नगरीय निकाय प्रापर्टी टैक्स में राहत देंगे, तो उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा सकती है, क्योंकि मोटे तौर पर निकायों का इस्टेबलिशमेंट इन्हीं पैसों से चल रहा है। बहरहाल, एक जरूरी बात बता दें कि लोगों की नजर भाजपा के घोषणापत्र पर ज्यादा लगी है, क्योंकि सभी समझते हैं कि राज्य सरकार भाजपा की है, इसलिए इनकी घोषणाओं पर अमल हो सकता है।