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ये गणतंत्र दिवस के लिए तैयार हमारी झांकी… इसमें रामनामी समुदाय, जनजातीय संस्कृति की झलक… राष्ट्रीय रंगशाला के प्रेस रिव्यू में तारीफ

गणतंत्र दिवस पर लाल किले में होने वाले भारत पर्व के लिए छत्तीसगढ़ की ओर से तैयार की गई झांकी को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल रही है। इस झांकी को नई दिल्ली में हुए एक कार्यक्रम में रंगशाला में प्रस्तुत किया गया है। वहां नेशनल मीडिया ने प्रेस रिव्यू में इसकी जमकर सराहना की। झांकी की खास बात यह है कि इसमें देशभर में अनूठे रामनामी समुदाय के साथ-साथ प्रदेश की संस्कृति और जनजातीय वैभव की झलक है। इसे भारत सरकार की थीम ‘स्वर्णिम भारत : विरासत और विकास’ पर तैयार किया गया है।

द स्तम्भ को इस झांकी का ब्योरा मिला है, जिसके मुताबिक इसके सामने वाले हिस्से में निराकार राम की उपासना करने वाले रामनामी समुदाय का प्रतिनिधित्व करती स्त्री और पुरुष हैं। इस समुदाय की परंपरा के अनुसार इनके शरीर एवं कपड़ों पर ‘राम-राम’ अंकित है। इन्हें रामचरितमानस का पाठ करते हुए दिखाया गया है। इनके पास घुंघरू प्रदर्शित हैं, जो भजन के लिए उपयोग किए जाते हैं। बीच के हिस्से में जनजातीय पहनावा, आभूषण, कलाकृतियां और कला परंपराएं दिखाई गई हैं। झांकी में वाद्य यंत्र तुरही है, पहली बार सल्फी का पेड़ भी दिखाया गया है। ये बस्तर के लोजीवन की बड़ी पहचान है। झांकी के पीछे मयूर बना है। यह लोकजीवन के सौंदर्य और जीवंतता का प्रतीक है। झांकी के माध्यम से छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर और प्रकृति से जुड़ी आध्यात्मिकता को गहराई से उजागर किया गया है। झांकी इतनी सारी विशेषताओं को सहेजे हुए है, इसीलिए इसे राष्ट्रीय रंगशाला दिल्ली में आयोजित प्रेस प्रिव्यू में नेशनल मीडिया की सराहना मिली। अफसरों के मुताबिक झांकी छत्तीसगढ़ के लोक जीवन, रीति-रिवाजों और परंपराओं को दर्शाते हुए राज्य की अनूठी सांस्कृतिक पहचान को प्रस्तुत कर रही है।

 

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