The Stambh Analysis: क्या ये सच है… IAS ध्यान देते हैं इसलिए राप्रसे के 2003 वालों को आईएएस अवार्ड… IPS रुचि नहीं लेते, इसलिए रापुसे अफसर 5 साल पिछड़े ?
छत्तीसगढ़ पुलिस में पीएससी के 1998 बैच के प्रफुल्ल ठाकुर और 2000 बैच के विजय पांडेय को अब जाकर आईपीएस अवार्ड हुआ, लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि दोनों ही भारतीय सेवा के मामले में सेम बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों से कम से कम पांच साल पिछड़ गए हैं। बिलकुल ऐसा ही है, क्योंकि छत्तीसगढ़ सेवा यानी राज्य प्रशासनिक सेवा के 2003 बैच के पूरे डिप्टी कलेक्टर को आईएएस अवार्ड हो चुका है और 2005 वाले अफसरों को आईएएस देने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। द स्तंभ ने इस मामले में बहुत सारे अफसरों से बात की है। चर्चा में जो पाइंट निकलकर आए हैं, वह चौंकाने वाले हैं क्योंकि राज्य सेवा के ज्यादातर अफसरों का मानना है कि छत्तीसगढ़ के डायरेक्ट आईएएस ध्यान देते हैं, इसलिए वे ठीक समय पर आईएएस बन रहे हैं। जबकि राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को आईपीएस अवार्ड के मामले में कथित तौर पर यहां के आईपीएस अफसरों में कोई रुचि नजर नहीं आती, इसलिए लगातार पिछड़ रहे हैं।
आप कह सकते हैं कि राज्य सेवा के अफसरों को भारतीय सेवा अवार्ड करने के निश्चित नियम हैं। सब नियमानुसार होता है, इसलिए इसमें ध्यान देने या मतलब रखने जैसी बात गलत है। हमने इस पर भी मंथन किया है। दरअसल भारतीय सेवा के अवार्ड का पूरा मामला नई दिल्ली से होता है। यह बात सामने आई है कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की अनुशंसा से लेकर सारे संबंधित दस्तावेज बिलकुल ठीक समय पर दिल्ली पहुंचा दिए जाते हैं। जिम्मेदार आईएएस इस मामले में दिल्ली से लगातार कम्यूनिकेट करते हैं, संपर्क में रहते हैं और वहां से आने वाली दस्तावेज संबंधी तमाम मांगों पर तुरंत एक्शन लिया जाता है। जबकि राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के मामले में एक्शन और कम्यूनिकेशन, दोनों ही इतने तेज नहीं है। बताते हैं कि जरूरी द्स्तावेज भी तब तक नहीं भेजे जाते, जब तक कि वो अफसर खुद इनिशिएट नहीं करते, जिनकी अनुशंसा भारतीय सेवा के लिए दिल्ली गई हुई होती है। यही वजह है कि राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को धड़ाधड़ आईएएस अवार्ड हो जाता है, लेकिन राज्य पुलिस सेवा के अफसर वर्षों से अपनी ग्रेडेशन लिस्ट ही निहार रहे हैं। जैसी रफ्तार है, उस हिसााब से राज्य पुलिस सेवा के बहुत सारे अफसर ग्रेडेशन लिस्ट में अपनी स्थिति देखकर अपने मन को समझा चुके हैं कि ऐसा ही चलता रहा तो इस जन्म में उन्हें आईपीएस अवार्ड नहीं हो सकता है तथा वरिष्ठ प्रवर श्रेणी के साथ ही नौकरी पूरी करनी होगी।