100 सीएम बसों से शुरू होगी योजना … सवारी कम हो, तब भी लगातार चलने के इंतजाम… भीतरी बस्तर के लोगों को भी मिलेगा पब्लिक ट्रांसपोर्ट

सीएम विष्णुदेव साय सरकार ने बुधवार को रिमोट एरिया में सीएम बसें चलाने की जो योजना घोषित की है, उसे जल्दी ही फील्ड पर उतारने का काम शुरू कर दिया गया है। सीएम साय के निर्देश पर परिवहन सचिव एस प्रकाश और अपर आयुक्त डी. रविशंकर ने इस योजना का खाका खींचा है। पहले चरण में बस्तर के कई हिस्से तथा सरगुजा में कुछ जगह 100 सीएम बसों को उतारने की तैयारी शुरू कर दी गई है। सीएम बस योजना हालांकि पूरे प्रदेश के लिए है, लेकिन माना जा रहा है कि बस्तर इसका बड़ा फोकस एरिया है। बस्तर को नक्सलमुक्त करने का अभियान चल रहा है, इसी के समानांतर भीतरी इलाकों में रहनेवालों को सरकार हर वह सुविधा उपलब्ध कराने जा रही है, जो डेवलप एरिया में दी जा रही है। दक्षिण और उत्तर बस्तर में बड़ा इलाका ऐसा है, जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट कनेक्टिविटी नहीं है। अपर परिवहन आयुक्त डी. रविशंकर के मुताबिक इन बसों से स्कूली बच्चों और शिक्षकों को सुविधा तो होगी ही, भीतरी इलाकों के निवासी जो अब तक हाट-बाजार ही पहुंचते हैं, बसों से बाहर मेनस्ट्रीम के कस्बों-शहरों तक आना-जाना कर सकेंगे। इन बसों का किराया वही होगा, जो अभी बसों में लिया जा रहा है। लेकिन कुछ वर्गों को सरकार ने छूट देने की घोषणा भी कर रखी है। जैसे, नक्सल प्रभावित लोगों का बसों का किराया आधा होगा। जाहिर है कि बस्तर के अंदरूनी गांवों में लगभग सभी लोग नक्सल प्रभावित हैं, इसलिए अधिकांश सवारी को मौजूद रूटीन किराए का आधा ही लगेगा।
सीएम बसें अंदरूनी इलाकों में चलेंगी और अगर उन्हें सवारी नहीं मिली तो आपरेटर इसे बंद कर सकते हैं, सरकार ने इस आशंका को इस योजना में सबसे पहले खत्म किया है। अपर आयुक्त रविशंकर के मुताबिक आपरेटर को पहले, दूसरे और तीसरे साल में प्रति किमी बस चलाने के लिए सरकार की ओर से फिक्स रकम दी जाएगी। मान लिया जाए कि अगर शुरू में सवारी नहीं मिल रही है, तो बसों में लगे जीपीएस के जरिए यह डेटा मिल जाएगा कि कितनी दूरी तय की गई है। उस हिसाब से सरकार की तरफ से आपरेटर को पेमेंट किाया जाएगा, ताकि वह बस चलाता रहे। इसकी निगरानी भी होगी कि इन बसों का एक फेरा भी कैंसिल न हो। जो सवारी सीएम बसों में सफर करेगी, इनसे लिया गया किराया आपरेटर की आय होगा। आपरेटर तय करने के मामले में भी सीएम बसों को संचालित करने के लिए बनाई जा रही समिति बहुत सावधानी बरतेगी। परमिट इस तरह जारी किया जाएगा, ताकि यह सेवा किसी भी तरह से बड़े आपरेटरों के शिकंजे में न फंसे।