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The Stambh Exclusive : साय सरकार के एक फैसले से अब इन 30 एएसपी को मिल सकती है एसपी-कमांडेंट पोस्टिंग… राज्य पुलिस कैडर के लिए सीएम साय-गृहमंत्री शर्मा की बड़ी पहल… पोस्टिंग की कवायद भी शुरू

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य पुलिस सेवा के 30 अफसरों को प्रवर श्रेणी वेतनमान देने का प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूर कर लिया है। यह फैसला राज्य पुलिस सेवा के सीनियर एडिशनल एसपी के लिए इसलिए अहम है, क्योंकि इनकी बैच के प्रशासनिक सेवा के अफसरों को आईएएस प्रमोशन मिल चुका है और वे कलेक्टर से लेकर किसी विभाग के डायरेक्टर तक बनाए जा सकते हैं। सीएम विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा ने इसे ध्यान में रखते हुए ही राज्य पुलिस सेवा में प्रवर श्रेणी वेतनमान वाले 30 पद क्रिएट किए हैं। इस दायरे में 2005 से 2009 तक की बैच के जो 30 अफसर आ रहे हैं, अब सरकार ने उन्हें भी जिलों में एसपी या बटालियनों में कमांडेंट नियुक्त करने के लिए पात्र बना दिया है। राज्य पुलिस कैडर के लिए साय कैबिनेट का यह फैसला इसीलिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पता तो यह भी चला है कि प्रवर श्रेणी वेतनमान के आधार पर पुलिस मुख्यालय में इन अफसरों की पोस्टिंग की कवायद भी आज, शुक्रवार से शुरू कर दी गई है।

द स्तम्भ ने सीनियोरिटी के हिसाब से प्रवर श्रेणी वेतनमान हासिल करने वाले 30 अफसरों की लिस्ट तैयार की है। इस सूची में शामिल एडिशनल एसपी में वरीयता क्रम के हिसाब से  पंकज कुमार शुक्ला, कीर्तन राठौर, सुरेश चौबे, महेश्वर नाग, पूजा अग्रवाल, रिचा मिश्रा, तारकेश्वर पटेल, जयप्रकाश बढ़ई, अंशुमान सिसोदिया, अर्चना झा, हरीश कुमार यादव, दीपमाला सैनी कश्यप, रोहित कुमार झा, ओमप्रकाश चंदेल, रमा पटेल, वर्षा मेहर, अनिल कुमार सोनी, प्रतिभा तिवारी, लखन पटले, गोपीचंद मेश्राम, उमेश कश्यप, अनंत साहू, राजेंद्र जायसवाल, अभिषेक वर्मा, दौलतराम पोर्ते, उनैजा खातून अंसारी, प्रज्ञा मेश्राम, मोनिका ठाकुर, संगीता पीटर्स, संतोष कुमार बोरकर, संजय कुमार महादेवा, मुकेश ठाकुर, मधुलिका सिंह, अमृता सोरी और संजय कुमार ध्रुव शामिल हैं। जानकारों का कहना है कि इन अफसरों को प्रवर श्रेणी वेतनमान देने के मामले में सीएम विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा ने इसलिए भी संवेदनशीलता से विचार किया, क्योंकि सरकार का मानना है कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में ये सारे अफसर अपने करियर की शुरुआत में ही बस्तर के संवेदनशील इलाकों में लंबे समय तक पदस्थ रहे थे और वास्तव में सभी ने लड़ाई में सीधे हिस्सा लिया था। जानकारों का यह भी कहना है कि छत्तीसगढ़ में आईपीएस के पद कम हैं।  बेहद सीनियर एएसपी होने के बावजूद इन अफसरों को आईपीएस अवार्ड होने में लंबा समय लग सकता है। ऐसे में सरकार इन्हें इसलिए एएसपी बनाकर नहीं रख सकती, क्योंकि पीएससी में इन्हीं के बैच के अफसर आईएएस होने के कारण कलेक्टर अथवा डायरेक्टर पदस्थ होने लगे हैं। इसलिए इन अफसरों को प्रवर श्रेणी वेतनमान दिया गया है, ताकि उन्हें एसपी या समकक्ष पद पर तैनात किया जा सके।

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