नियद नेल्लानार और सुशासन की रोशनी से जगमग बस्तर का मुदवेंडी

माओवाद की पीड़ा झेलते बीजापुर का छोटा सा गांव मुदवेंडी अब बदलाव की मिसाल बन गया है। बीजापुर से 40 किमी दूर यह गांव अब न केवल शुद्ध पेयजल और पक्की सड़क से जुड़ चुका है, बल्कि अब यहां बिजली की रोशनी ने भी दस्तक दे दी है। यह सब संभव हुआ है सीएस विष्णुदेव साय की दूरदृष्टि और नियद नेल्लानार योजना की बदौलत।
इस गांव में केवल 45 परिवार रहते हैं, पर इनके जीवन में हाल के दिनों में जो परिवर्तन आया है, वह अभूतपूर्व है। पहले जहां शाम होते ही अंधेरा छा जाता था और रात में एक कदम चलना भी जोखिम भरा होता था, वहीं अब बिजली आने से न केवल घरों में उजाला हुआ है, बल्कि ग्रामीणों के दिलों में भी उम्मीद की लौ जल उठी है। लंबे समय तक माओवादी हिंसा की वजह से विकास की मुख्यधारा से कटे रहे इस गांव में अब सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचने लगी हैं। यह बदलाव केवल सुविधाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर सामाजिक और शैक्षणिक जीवन पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। गांव के हुरा कुंजाम बताते हैं कि गांव में वर्षों बाद बिजली पहुंची है। पहले जहां अंधेरे में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती थी, अब रात को भी बच्चे आराम से पढ़ाई कर रहे हैं। साथ ही सांप-बिच्छू और जंगली जानवरों के खतरे से भी अब राहत मिली है। गांव के ही श्री लखमा कुंजाम का कहना है, बिजली आने से गांव में उत्सव का माहौल है।
*नियद नेल्लानार योजना: उम्मीद की किरण*
सीएम विष्णुदेव साय द्वारा माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए शुरू की गई नियद नेल्लानार योजना वास्तव में अब एक क्रांतिकारी बदलाव की वाहक बन चुकी है। इस योजना के तहत न केवल विकास के कार्य हो रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों को सुरक्षा, विश्वास और आत्मनिर्भरता की नई राह भी मिल रही है। मुदवेंडी गांव की यह कहानी बताती है कि जब शासन की नीयत साफ हो और योजनाएं ज़मीन पर उतरें, तो दूरस्थ अंचलों में भी बदलाव की किरण पहुंच सकती है। अब अंधेरे की जगह उजाले की पहचान है मुदवेंडी। यह है सुशासन का सच और नई छत्तीसगढ़ की दिशा।