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The Stambh Insight : छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अध्यक्ष तो खुद सीएम हैं… वहां एक और अध्यक्ष की नियुक्ति पर उठे सवाल

छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के 36 निगम, मंडल और आयोगों में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। इतनी बड़ी लिस्ट में सारी नियुक्तियां नियमानुसार बताई गई हैं, केवल जानकारों ने छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अध्यक्ष की नियुक्ति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नियुक्तियों के मामले में नियमों के जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद को जिस तरह से गठित और अधिसूचित किया गया है, उसके अनुसार परिषद के पदेन अध्यक्ष तो मुख्यमंत्री हैं। इस परिषद के पदेन उपाध्यक्ष के रूप में भी संस्कृति मंत्री अधिसूचित किए गए थे। ऐसे में नए अध्यक्ष की नियुक्ति तभी हो सकती है, जब परिषद को पुनर्गठित किया जाए और पदेन अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का क्लाज समाप्त किया जाए। यह एक चूक है, जिसका सुधार भी तत्काल संभव है। तभी वहां नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जा सकती है। इस बारे में द स्तम्भ ने सत्ता के जानकारों से बात की है। उनका कहना है कि सब कुछ नियमानुसार है, संबंधित प्रावधान पहले ही किए जा चुके हैं।

छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद के अध्यक्ष के रूप में राज्य सरकार ने शशांक शर्मा की नियुक्ति की है। जानकारों ने इस परिषद के गठन को लेकर पूरा ब्योरा दिया है। उनका कहना है कि संस्कृति परिषद में पूर्व में जारी अधिसूचना के अनुसार परिषद में कुल 9 सदस्यों का प्रावधान है। सदस्यों में प्रतिष्ठित विद्वजनों को मनोनीत किया जाना है। परिषद के अंतर्गत ही कला संस्कृति की इकाइयों को भी समाहित किया गया है। इसी में सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान ये है कि संस्कृति परिषद के पदेन अध्यक्ष के रूप में मुख्यमंत्री तथा पदेन उपाध्यक्ष के रूप में संस्कृति मंत्री को नोटिफाई किया गया है। ऐसे में शशांक शर्मा की बतौर अध्यक्ष नियुक्ति तभी संभव है, जब जब परिषद को पुनर्गठन कर अधिसूचित किया जाए। ताकि पदेन अध्यक्ष और पदेन उपाध्यक्ष का प्रावधान समाप्त किया जा सके। हालांकि यह मुश्किल नहीं है। जानकारों ने यह भी बताया कि परिषद का गठन करते हुए तीन महत्वपूर्ण अकादमियां जैसे साहित्य अकादमी, आदिवासी  लोककला अकादमी और कला अकादमी भी बनाई गई थीं। अब इन तीनों अकादमियों में भी अध्यक्ष अथवा निदेशक नियुक्त होने चाहिए। इसके अलावा संस्कृति विभाग की कुछ और संस्थाओं को संस्कृति परिषद के अंतर्गत रखा गया है। इनमें बख़्शी पीठ और श्रीकांत वर्मा पीठ शामिल हैं। ऐसे में, पहले परिषद के सदस्यों का चयन करना चाहिए फिर अकादमियों और पीठों में भी नियुक्ति करनी चाहिए।

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