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The Stambh Breaking… अशोक जुनेजा फिलहाल बने रहेंगे डीजीपी… यूपीएससी से लौटा पैनल वापस नहीं भेजा गया… जानकारों की राय- एक्सटेंशन के पूरे आसार

बेहद लो-प्रोफाइल सरकार चिर-परिचित प्रभावशाली शैली में काम करने वाले छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा का विकल्प अब भी तैयार नहीं हो सका है। डीजीपी जुनेजा का पिछला एक्सटेंशन फरवरी अंत में समाप्त हो रहा है। नए डीजीपी के लिए सरकार की ओर से सीनियर आईपीएस अरुणदेव गौतम, हिमांशु गुप्ता और पवन देव के नाम भेजे गए थे। लेकिन यूपीएससी ने कुछ दिन पहले इस पैनल को इस प्रश्न के साथ छत्तीसगढ़ सरकार को लौटा दिया कि इसमें आईपीएस एसआरपी कल्लुरी का नाम क्यों नहीं है। इस मुद्दे को रिजाल्व करने के साथ नया पैनल भेजा जाता, तो संभावना बन सकती थी कि डीजीपी जुनेजा का कार्यकाल खत्म हो जाता और नया डीजीपी नियुक्त हो जाता। लेकिन यह मुद्दा अब तक साल्व नहीं हुआ है। पुलिस मुख्यालय के ज्ञानी इसके कुछ तकनीकी कारण बता रहे हैं, जिनका उल्लेख इस खबर में करना जरूरी नहीं है। लेकिन एक इशारा सरकारी गलियारों से उठा है, और वह ये है कि सरकार अभी नक्सलवाद के मोर्चे पर निर्णायक लड़ाई लड़ रही है। इस लड़ाई में डीजीपी महत्वपूर्ण कड़ी होते हैं। अशोक जुनेजा के बारे में बात यह हो रही है कि समन्वय के साथ काम करने के मामले में परफेक्ट हैं, इस निर्णायक लड़ाई में सरकार को डीजीपी जुनेजा और उनकी पूरी टीम से बड़ा सहयोग मिल रहा है, ऐसे में टाप आर्डर को डिस्टर्ब करना उचित प्रतीत नहीं हो रहा है। यही वजह है कि रायपुर से लेकर दिल्ली तक, ऐसे कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में डीजीपी बदलने जा रहे हैं। अशोक जुनेजा को क्या छह माह या एक साल का और एक्सटेंशन दिया जा सकता है, क्या इस बारे में कोई फाइल खामोशी से चल रही है जिसकी आवाज भी बाहर नहीं आ रही है, अभी इन सवालों के जवाब बहुत उच्चस्तर पर ही मिल सकते हैं, और किसी के पास नहीं हैं। कुल मिलाकर, तकनीकी तौर पर जो परिस्थिति दिख रही है और जिस तरह के संकेत उभर रहे हैं, उनके तो यही संदेश मिल रहा है कि अशोक जुनेजा अपना यह एक्सटेंशन पूरा करने के बाद भी कम से कम लोकल चुनाव की आचार संहिता तक तो डीजीपी बने ही रहेंगे। इसके बाद भी वे और कितने दिन तक डीजीपी की जिम्मेदारी संभालेंगे, यह सरकार के अगले एक्शन के आधार पर ही तय हो सकता है। हालांकि इस पूरी संभावना में अगर कोई रद्दोबदल हो सकता है, तो वह तभी संभव है जब केंद्र और राज्य सरकार अचानक कोई फैसला न ले लें।

अशोक जुनेजा छत्तीसगढ़ में केंद्रीय सेवा के कैडर के प्रभावशाली अफसरों में से एक माने जाते रहे हैं, वह चाहे आईएएस हो या आईपीएस। वजह एक ही है, लो-प्रोफाइल रहकर समन्वय से काम करने की उनकी शैली। इसीलिए रिटायर होने के बाद भी वे लगातार डीजीपी बने हुए हैं, कांग्रेस की सरकार में भी इसी पद पर थे और भाजपा सरकार भी उन्हें फिलहाल हटाने के मूड में नजर नहीं आ रही है। आईपीएस जुनेजा की सर्विस के बारे में बता दें कि वे जून 2023 में रिटायरमेंट एज में आ गए थे, यानी रिटायर हो सकते थे। लेकिन पीएससी के फार्मूले के आधार पर वे अगस्त 2024 तक नौकरी में बने रहे। माना जा रहा था कि अगस्त के बाद राज्य में कोई और डीजीपी आ जाएंगे, लेकिन राज्य से लेकर केंद्र तक का भरोसा उन पर कायम रहा और कार्यकाल पूरा होने से एक दिन पहले उन्हें भारत सरकार ने 6 माह का एक्सटेंशन दे दिया। तब तर्क दिया गया कि उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में एंटी नक्सल आपरेशन बेहतर ढंग से चल रहा है और इसे डिस्टर्ब नहीं किया जा सकता। छह माह का वह एक्सटेंशन फरवरी में खत्म हो रहा है और अब तो हालत ये है कि नक्सलियों के खिलाफ चल रही लड़ाई में फोर्स ने अपर हैंड हासिल कर लिया है। फोर्स ने पिछले दो माह में नक्सलियों के हौसले पस्त कर दिए हैं। ऐसे में, एक बार फिर यह कारण सामने आ रहा है कि अब भी सरकार फोर्स के टाप आर्डर को डिस्टर्ब करने के मूड में नहीं लग रही है। इसलिए सरकारी गलियारों में यह बात मजबूती से तैरने लगी है कि फरवरी में तो डीजीपी रिटायर नहीं हो रहे हैं।

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