22 आबकारी अफसरों का निलंबन भ्रष्टाचार पर सीएम साय की सबसे बड़ी चोट… आज तक इतने अफसरों को किसी सरकार ने एक साथ सस्पेंड नहीं किया… खाली जगह कुछ देर में भर भी दी

आबकारी विभाग में एक साथ 22 उपायुक्त, सहायक आयुक्त और डीईओ स्तर के अफसरों का सस्पेंशन छत्तीसगढ़ के किसी भी विभाग में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है, जिसके ज़रिए सीएम विष्णुदेव साय ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का कड़ा संदेश दिया है। वैसे तकरीबन 33 सौ करोड़ रुपए के इस स्कैम में साय सरकार पहले ही दिन से कड़ा प्रहार कर रही है। आईएएस समेत कई नामचीन लोग पहले ही जेल भेजे जा चुके हैं। 22 अफसरों का नाम ईओडब्लू के चालान में आने के बाद साय सरकार ने इन्हें निलंबित कर आर्थिक अपराध में इनकी संलिप्तता पर मोहर भी लगाई है। इस कार्रवाई के बाद सरकार ने गुड गवर्नेंस का बड़ा उदाहरण पेश करते हुए निलंबन के कारण खाली हुए पदों पर कुछ घंटे के भीतर करीब ढाई दर्जन अफसरों को तैनात भी कर दिया। जहां तक निलंबन का सवाल है, वरिष्ठ वकीलों का मानना है कि सरकार द्वारा एक तरह से इन अफसरों को दोषी मानकर ही सस्पेंशन किया गया है, अर्थात इस फैसले का इन अफसरों की कोर्ट प्रोसीडिंग्स में जल्दी ही सीधा प्रभाव नज़र आने लगेगा।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) द्वारा की गई विस्तृत जांच में यह खुलासा हुआ है कि यह पूरा घोटाला एक संगठित सिंडिकेट के जरिये संचालित हो रहा था, जिसमें आरोपी आबकारी अधिकारियों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
इसका खुलासा होते ही छत्तीसगढ़ सरकार ने बिना देर के 22 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। जिनमें आबकारी उपायुक्त अनिमेष नेताम, अरविन्द कुमार पाटले, नीतू नोतानी, नोहर सिंह ठाकुर, विजय सेन शर्मा शामिल हैं। इसी प्रकार सहायक आयुक्त आबकारी प्रमोद कुमार नेताम, विकास कुमार गोस्वामी, नवीन प्रताप सिंह तोमर, राजेश जायसवाल, मंजुश्री कसेर, दिनकर वासनिक, आशीष कोसम, सौरभ बख्शी, प्रकाश पाल, रामकृष्ण मिश्रा, अलख राम कसेर, सोनल नेताम और जिला आबकारी अधिकारी मोहित कुमार जायसवाल, गरीबपाल सिंह दर्दी, इकबाल अहमद खान, जनार्दन सिंह कौरव, नितिन कुमार खंडूजा शामिल हैं। इन अधिकारियों पर वर्ष 2019 से 2023 के बीच भ्रष्टाचार कर करीब 88 करोड़ रुपये की अवैध कमाई से चल-अचल संपत्तियां भी बनाने का आरोप है।
सीएम विष्णु देव साय ने स्पष्ट कहा है कि यह घोटाला पिछली सरकार के कार्यकाल में हुआ था, घोटाले में संलिप्त किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। गौरतलब है कि पूर्व सरकार के पांच साल के कार्यकाल के दौरान कई बड़े मामलों की जांच केंद्रीय और राज्य एजेंसियां कर रही हैं और एक-एक कर सभी दोषी जेल भेजे जा रहे हैं। केवल शराब घोटाला ही नहीं, राज्य सरकार डीएमएफ घोटाला, महादेव सट्टा एप घोटाला और तेंदूपत्ता घोटाले जैसे मामलों की भी गहराई से जांच करवा रही है, जिनमें किसी भी तरह की संलिप्तता सामने आने पर दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई हो रही है। बीते दो वर्षों में ACB ने 200 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों को पकड़ा है, जो सीएम विष्णुदेव साय और उनकी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का बड़ा उदाहरण है।