महानदी-इंद्रावती को जोड़ने के प्रोजेक्ट में हलचल… पीएम मोदी से सीएम साय ने विस्तार से की चर्चा… बोधघाट बांध पर भी बात, दोनों प्रोजेक्ट 49 हजार करोड़ के

छत्तीसगढ़ में दो ऐसे सिंचाई प्रोजेक्ट में हलचल है, जिनकी कुल लागत ही छत्तीसगढ़ के बजट की लगभग 40 फीसदी है। शुक्रवार को पीएम मोदी के साथ मुलाकात में सीएम साय ने इन दोनों प्रोजेक्ट पर विस्तार के बात की है। पहला प्रोजेक्ट महानदी और इंद्रावती नदियों को जोड़ने का है। इसकी चर्चा लगभग डेढ़ दशक से चल रही है, लेकिन बात सिर्फ चर्चाओं तक सीमित है। दूसरी परियोजना बोधघाट बांध है। यह भी वर्षों से लंबित है। इनके लंबित होने की अहम वजह लागत है। दोनों प्रोजेक्ट में 49 हजार करोड़ रुपए खर्च होने हैं, संभवतः इसीलिए पूर्ववर्ती राज्य सरकारें इस पर आगे नहीं बढ़ पाईं। माना जा रहा है कि पीएम मोदी से बातचीत के बाद केंद्र दोनों प्रोजेक्ट के लिए मदद भेज सकता है।
दोनों ही प्रोजेक्ट बस्तर संभाग के हैं, इसलिए वर्षों से रुके रहने की वजह बस्तर का नक्सल प्रभावित होना बी है। अब बस्तर में नक्सलवाद खात्मे की कगार पर है। इसलिए इन प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने में कम से कम नक्सल आतंक जैसी मुश्किल नहीं आएगी। सीएम साय ने कहा कि बस्तर के विकास के लिए बोधघाट बांध निर्णायक प्रोजेक्ट होगा। यह बांध इंद्रावती नदी पर बनना है, जो कि गोदावरी की बड़ी सहायक नदी है। गोदावरी जल विवाद अभिकरण के वर्ष 1980 के अवॉर्ड में भी अन्य योजनाओं के साथ इस परियोजना का उल्लेख है। उम्मीद की जा रही है कि बोधघाट बांध से सिंचाई के अलावा 125 मेगावाट बिजली तो पैदा होगी ही, 4824 टन मछली भी निकाली जा सकती है। इससे 3,78,475 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 49 मिलियन घनमीटर पीने का पानी भी मिलेगा। इसी तरह, इंद्रावती और महानदी पको जोड़ने से कांकेर में 50,000 हेक्टेयर समेत कुल 3,00,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई हो सकेगी। बहुउद्देशीय बोधघाट बांध परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा जिले के 269 गांवों को बड़ा लाभ होगा। जबकि इंद्रावती-महानदी इंटरलिंकिंग परियोजना से कांकेर जिले के अनेकों गांवों में सिंचाई सुविधा का विस्तार हो सकेगा।