हाउसिंग बोर्ड की 5 साल पुरानी प्रापर्टी भी अब 10 फीसदी छूट के साथ सेल में… डिस्काउंट स्कीम में बोर्ड ने 139 करोड़ रुपए कमाए, हुआ कर्जमुक्त- मंत्री चौधरी

छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड को ओटीएस स्कीम में पुरानी बिना बिकी प्रापर्टी को छूट के साथ बेचने में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। इसी साल बोर्ड ने 10 साल तक पुरानी प्रापर्टी 20 प्रतिशत डिस्काउंट और 10 साल से ज्यादा पुरानी बिना बिकी प्रापर्टी को 30 प्रतिशत छूट पर बेचकर करीब 140 करोड़ रुपए कमाए हैं। छूट स्कीम की कामयाबी को देखते हुए बोर्ड ने छूट वाली इस योजना में 5 साल पुरानी प्रापर्टी को भी 10 प्रतिशत डिस्काउंट पर शामिल कर लिया है। आवास पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने यह जानकारी दी और बताया कि छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड अब पूरी तरह कर्जमुक्त हो चुका है। हाउसिंग बोर्ड की नई योजनाओं को लेकर सरकार ने 60 फीसदी प्री-बुकिंग भी अनिवार्य कर दी है। अर्थात, अगर बोर्ड कोई योजना लाता है, तो जब तक उस योजना में आफर की गई प्रापर्टी की 60 फीसदी प्री-बुकिंग नहीं हो जाती, प्रोजेक्ट चालू नहीं किया जाएगा।
मंत्री चौधरी ने बताया कि OTS-2 योजना की शुरुआत इसी साल 1 मार्च 2025 से की गई थी। योजना का उद्देश्य हाउसिंग बोर्ड द्वारा पूर्व में निर्मित रिक्त संपत्तियों को विशेष छूट के साथ लोगों को उपलब्ध करवाना है। योजना में रिक्तता की अवधि के आधार पर संपत्तियों पर चरणबद्ध छूट दी गई है। 5 से 10 वर्ष पुरानी ऐसी संपत्तियाँ जिनमें कम से कम 20% भाग रिक्त है, उन पर 20% की छूट दी गई है। 20% से अधिक रिक्तता की स्थिति में 30% तक की छूट निर्धारित है। 10 वर्ष से अधिक पुरानी बिना बिकी प्रापर्टी पर 30% छूट का प्रावधान है। अब ऐसी प्रापर्टी भी योजना में शामिल की गई हैं, जिनके निर्माण को 5 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इन पर 10 प्रतिशत छूट रहेगी। मंत्री चौधरी ने बताया कि छूट प्रापर्टी के बेस प्राइस पर लागू रहेगी। ऐसी प्रापर्टी नीलामी और उच्चतम बोली के आधार पर बेची जा रही हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना में लोगों का भरोसा बढ़ने के कारण 15 जून तक 920 प्रापर्टी बेची गईं, जिनसे बोर्ड को 139.47 करोड़ रुपये मिले।
मंत्री चौधरी ने बताया कि अब से हाउसिंग बोर्ड की कोई भी हाउसिंग स्कीम तब तक शुरू नहीं होगी, जब तक उसकी प्री-बुकिंग 60 प्रतिशत तक न हो जाए। यह रणनीतिक कदम योजनाओं की सफलता सुनिश्चित करने और अनावश्यक निर्माण कार्य से बचने हेतु उठाया गया है। अब हाउसिंग बोर्ड कॉरपोरेट मॉडल को अपनाकर काम कर रहा है। बोर्ड का मूल उद्देश्य प्रदेशवासियों को सुलभ, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण आवास उपलब्ध कराना है।