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सरकार ने IPS रजनेश के खिलाफ भूपेश सरकार में शुरू डीई खत्म की… फोन टैपिंग का केस बना था, जिसमें EOW से क्लोजर रिपोर्ट पेश

बिलासपुर के एसपी आईपीएस रजनेश सिंह के खिलाफ चल रही विभागीय जांच (डीई) को राज्य सरकार ने खत्म कर दिया है। भूपेश बघेल सरकार ने नान घोटाले में फोन टैपिंग तथा दस्तावेजों में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए रजनेश तथा तत्कालीन डीजी मुकेश गुप्ता के खिलाफ 2019 में एफआईआर दर्ज कराई थी। दोनों सस्पेंड किए गए थे और विभागीय जांच शुरू कर दी गई थी। धाकड़ आईपीएस मुकेश गुप्ता को रिटायरमेंट से ठीक पहले, सितंबर 2022 में कैट के आदेश पर राज्य सरकार ने निलंबन खत्म कर बहाल कर दिया था, इसके कुछ दिन बाद वे रिटायर भी हो गए। कैट ने आईपीएस रजनेश सिंह के निलंबन को भी गलत ठहराते हुए बहाली का आदेश दिया था। इस आधार पर वे बहाल किए गए थे। वे सरकार बदलने के बाद बिलासपुर एसपी बनाए गए और अब तक हैं।

बता दें कि नान घोटाला रमन सिंह सरकार के कार्यकाल में उजागर हुआ था। लेकिन अफसरों के खिलाफ एफआईआर 2019 में की गई थी। उस वक्त मुकेश गुप्ता इंटेलिजेंस के साथ-साथ ईओडब्लू-एसीबी के डीजी थे। रजनेश ईओडब्लू-एसीबी में एसपी पदस्थ थे। भूपेश सरकार के कार्यकाल में दोनों के खिलाफ बिना अनुमति फोन टैपिंग का आरोप लगा था। इसी आधार पर दोनों सस्पेंड किए गए थे, हालांकि इस कार्रवाई के तब पालिटिकल होने की भारी  चर्चा थी। ईओडब्लू ने एफआईआर के बाद आरोपों की जांच शुरू की थी। अब इसी ईओडब्लू ने अदालत को बताया है कि दोनों अफसरों के खिलाफ जिस अपराध पर मुकदमा चलाया गया, वैसा अपराध हुआ ही नहीं था। ईओडब्लू-एसीबी ने इस केस में क्लोजर रिपोर्ट पेश करने के साथ-साथ कोर्ट से आग्रह किया है कि दर्ज एफआईआर भी रद्द कर दी जाए।

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