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नशे की सप्लाई-पेमेंट डिजिटल मोड पर शिफ्ट… रायपुर में हेरोइन के बाद दुर्ग में नशीली टैबलेट की बिक्री में यही पैटर्न… दुर्ग पुलिस को आनलाइन सप्लाई, बैंक पेमेंट के मिले सबूत

छत्तीसगढ़ में नशा बेचने वाले और खरीदनेवाले, दोनों ही पक्ष आनलाइन तथा डिजिटल पेमेंट मोड पर शिफ्ट हो गए हैं, ताकि कैश के कारण सप्लाई के दौरान रुकने से पकड़े जाने का खतरा न हो। रायपुर में तीन दिन पहले क्राइम ब्रांच ने एक करोड़ रुपए की हेरोइन की बिक्री का पूरा पेमेंट आनलाइन मोड पर किए जाने का खुलासा किया था। रविवार को दुर्ग पुलिस ने 7200 नशीली टैबलेट के साथ महाराष्ट्र से एक आरोपी को पकड़ा तो खुलासा हुआ कि वह भी पूरा धंधा डिजिटल पेमेंट पर कर रहा था। एसएसपी विजय अग्रवाल ने बताया कि सिर्फ पेमेंट ही नहीं, नशीली दवाइयों की सप्लाई भी आनलाइन पोर्टल्स से ही की जा रही थी।

दरअसल दुर्ग पुलिस ने हाल में वहीं के एक युवक अंकित सिंह राजपूत को 7200 नशीली टैबलेट अल्प्राजोलम के साथ पकड़ा था। उसे जेल भेजने के बाद लिंक तलाशे गए, तब पता चला कि नशीली टैबलेट मुंबई से मनीष कुमावत नाम का युवक आनलाइन ही सप्लाई कर रहा था और पेमेंट भी आनलाइन की ले रहा था। कुछ मोबाइल से पूरा पेमेंट डीटेल भी निकल गया है। एसएसपी ने बताया कि राजपूत को नशीली दवाइयों के साथ गिरफ्तार करने के बाद फारवर्ड-बैकवर्ड लिंक पर काम शुरू हुआ, तब पता चला कि मुंबई की कंपनी MAXTOUCH LIFE SCINCE LLP का कर्मचारी जय राठौर तथा मनीष कुमावत दुर्ग में युवक को नशीली टैबलेट आनलाइन ही सप्लाई कर रहे थे। इस आधार पर कंपनी के खिलाफ कोर्ट से वारंट लेकर दुर्ग पुलिस मुंबई पहुंची। कंपनी के जांच में तो कुछ नहीं मिला, लेकिन पुलिस को कंपनी का कर्मचारी मनीष मिल गया। इससे पूछताछ में खुलासा हुआ कि नशीले दवाइयां भी आनलाइन भेजी जा रही थीं और पेमेंट भी उसके खाते में गूगल-पे के क्यू आर कोड से हो रहा था। इसके बदले में उसे कमीशन दिय जा रहा था। उसके मोबाइल और पासबुक में सारे डीटेल मिलने के बाद पुलिस उसे रक्षाबंधन के दिन गिरफ्तार कर दुर्ग लेकर आई और कोर्ट में पेश कर दिया। डिजिटल सबूतों के आधार पर इस मामले में आरोपी जय राठौर की तलाश भी चल रही है।

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