हेलमेट के लिए आदि काल से पंपों से पेट्रोल बैन करते रहे हैं कलेक्टर… जिनके पास ई-बाइक, उनके लिए कोई ऐसा उपाय नहीं

छत्तीसगढ़ में पिछले दो दशक में अलग-अलग जिलों में कलेक्टरों ने ऐसे निर्देश जारी किए कि दोपहिया वाले जो लोग हेलमेट नहीं लगाएंगे, उन्हें पेट्रोल पंपों से पेट्रोल नहीं मिलेगा। हर पंप पर सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाएगी, बिना हेलमेट बाइक को पेट्रोल देने पर पंप के खिलाफ कड़ा एक्शन होगा। रायपुर में पुरातन काल से अब तक ऐसी सख्त निर्देश चार-पांच बार जारी किए जा चुके हैं। ताजा आदेश बालोद कलेक्टर दिव्या मिश्रा ने भी 1 अगस्त को ऐसा ही आदेश निकाला है। दिलचस्प बात ये है कि छत्तीसगढ़ के तमाम जिला प्रशासन हेलमेट के लिए पेट्रोल फ्यूल वाली बाइक या टू-व्हीलर पर ही फोकस हैं, जो शुरू से हैं और अब तक हैं। जबकि इस वक्त पेट्रोल टू-व्हीलर जैसी ही स्पीड ई-बाइक्स की भी है, जो गांव-गांव में पहुंच चुकी हैं और संख्या लगातार बढ़ रही है। सड़क पर टू-व्हील ड्राइव में यह बदलाव दो-तीन साल पहले से नजर आ रहा है। हेलमेट पर सख्ती के लिए पेट्रोल पंपों से पेट्रोल बैन के आदेश तो निकलते हैं, लेकिन परिवहन कानूनों के अलावा ऐसा कोई उपाय किसी कलेक्टर ने अब तक नहीं तलाशा है, जिसके जरिए ई-बाइक वालों को हेलमेट पहनने के लिए मजबूर किया जाए।
पंपों से पेट्रोल ही, ई-बाइक तो घर में रीचार्ज
द स्तम्भ ने इस बारे में कुछ अफसरों से बात की। उनका कहना है कि परिवहन विभाग के हेलमेट को लेकर सख्त नियम हैं, जो ई-बाइक पर हेलमेट नहीं पहनने वालों के लिए भी लागू होते हैं। उनके पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि ये नियम तो पेट्रोल बाइक वालों के लिए भी हैं। फिर उनके लिए अलग से पंपों से पेट्रोल नहीं देने का फरमान क्यों किया जाता है, उन्हें भी सड़कों पर चालान कर सकते हैं। जवाब तो एक और सवाल का नहीं मिला। पेट्रोल ईंधन वालों के साथ सख्ती इसलिए की जा सकती है, क्योंकि पंपों में जाकर पेट्रोल लेने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। ई-बाइक वालों को यह दिक्कत नहीं है, क्योंकि उनकी जरूरत का पूरा फ्यूल (बिजली) घर में ही उपलब्ध है, उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है।