Beautiful pic: छत्तीसगढ़ के नए विधानसभा भवन में उभरा क्लासिकल आर्किटेक्चर… परंपरागत भारतीय शैली में ये सेंट्रल इंडिया का संभवतः सबसे बड़ा परिसर

नया रायपुर में बन रहे छत्तीसगढ़ के नए विधानसभा भवन की शुरुआत संभवतः इस साल शीत सत्र से हो जाएगी। परिसर दो साल से बन रहा है, लेकिन अब इसकी खूबसूरती उभरने लगी है। यह क्लासिकल आर्किटेक्चर शैली की बिल्डिंग है, जो भारतीय परंपरागत वास्तु शैली को सहेजे हुए है। सात डोम वाली इस बिल्डिंग के छह छोटे डोम बन चुके हैं। इनमें से दो-तीन डोम दीनदयाल उपाध्याय स्क्वेयर से नजर आने लगे हैं, जो संभवतः रायपुर ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा चौराहा है। एक विशाल डोम बचा है, जिसका प्लेटफार्म तैयार हो गया और निर्माण शुरू होने वाला है। यह मौजूदा छोटे छह डोम से कम से कम 10 गुना बड़ा रहेगा। संभावना है कि यह महानदी मंत्रालय और इंद्रावती एचओडी बिल्डिंग के बीचोबीच की खाली जगह पर सीबीडी स्टेशन से नजर आ जाएगा। इस तरह, मंत्रालय, एचओडी बिल्डिंग और विधानसभा भवन का यह सेटअल लगभग तीन-चार किमी दूर से नजर आएगा और इंडियन क्लासिकल स्थापत्य कला की मिसाल होगा। यह नजारा थोड़ा-बहुत उस तरह का हो सकता है, जैसा नई दिल्ली में साउथ ब्लाक, नार्थ ब्लाक और राष्ट्रपति भवन के आसपास का है, भले ही उतना विशाल न हो। इतने सारे डोम के साथ बहुमंजिला नया विधानसभा भवन छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा भवन होगा। चूंकि छत्तीसगढ़ के इतिहास में शुरू से अब तक इतना बड़ा और भव्य कोई भवन नहीं है, इसलिए मानकर चलिए कि यह पूरा परिसर इतिहास के पन्नों में दर्ज होने जा रहा है।
छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन का निर्माण गैर तकनीकी शब्दों में केंद्र सरकार से संबद्ध एक संस्था कर रही है। भवन का डिजाइन और आर्किटेक्चर स्थानीय तथा फेमस सीनियर आर्किटेक्ट देख रहे हैं। द स्तंभ ने नए विधानसभा भवन और परिसर की जानकारी अफसरों से इकट्ठा की हैं। इसके मुताबिक नया विधानसभा परिसर 52 एकड़ में फैला है। मेन डोम को मिलाकर इस परिसर की हाइट 150 फीट के आसपास रहेगी। भवन की मेन बिल्डिंग यानी सदन 200 विधायकों के हिसाब से बनाया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि उम्मीद है कि अगले 40-50 वर्ष में तीन-चार परिसीमन के बाद छत्तीसगढ़ में विधायकों की संख्या बढ़कर दो सौ के आसपास पहुंच सकती है, जो अभी 90 है। इस भवन का परिसर भी स्टेट आफ द आर्ट है। पूरा परिसर सोलर बिजली से रोशन होने वाला है। यहां 2000 किलोवाट क्षमता का बिजली प्लांट लगाया जा रहा है, जिसका निर्माण लगभग पूरा होने को है। परिसर में छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाए जाने वाले 2000 पेड़ लगाए जाएंगे। इनमें महुवा, साल, इमली, तेंदू, नीम, सागौन-शीशम, बरगद-पीपल जैसे पेड़ होंगे।



