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सिविल ठेके में करप्शन पर सीबीआई छापे…बीएसपी से जुड़ी ईपीआईएल के पूर्व डीजीएम और ठेका कंपनी पर केस

सीबीआई ने स्टील अथारिटी आफ इंडिया (सेल) के अधीन सरकारी कंपनी इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लि (ईपीआईएल) को फर्जी बिलों और चालान के जरिए 84 लाख रुपए का नुकसान पहुंचाने के मामले की जांच करते हुए ईपीआईएल के तत्कालीन डीजीएम तथा भिलाई की एक ठेकेदार के खिलाफ केस रजिस्टर करते हुए दोनों के भिलाई और बिजनौर (यूपी) के निवास पर गुरुवार को छापे मारे हैं। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक छापेमारी की कार्रवाई जारी है। मामला बीएसपी से भी जुड़ा हुआ है, इसलिए छापेमारी से खलबली मच गई है।

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से जारी आधिकारिक जानकारी के अनुसार भिलाई इस्पात संयंत्र (सेल के अधीन) एवं  इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स इंडिया लिमिटेड (ईपीआईएल-भारत सरकार का उद्यम) ने 30 अप्रैल 2010 को भिलाई इस्पात संयंत्र में नए ओएचपी, भाग (पैकेज-61) के साथ कच्चे माल की प्राप्ति एवं हैंडलिंग सुविधाओं के विस्तार की स्थापना हेतु साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए का अनुबंध किया ळे। इसके अनुसार ईपीआईएल सिविल निर्माण कार्यों के लिए कई टेंडर जारी किए। आरोपी ठेकेदार की फर्म सहित कई कंपनियों को अलग-अलग सिविल निर्माण के कार्य आवंटित किए गए। ठेका हासिल करने के बाद ठेकेदार ने जाली गेट मटेरियल एंट्री चालान (फॉर्म सीआईएसएफ-157) तथा स्टोर इशूड स्लिप को जाली चालान के साथ प्रस्तुत कर दिया। यह भी आरोप है कि सीआईएसएफ फॉर्म-157 को इस केस के दूसरे आरोपी बनाए गए ईपीआईएल के तत्कालीन डीजीएम ने सत्यापित भी किया। सीबीआई ने इन शिकायतों की जांच की। इसके मुताबिक सुदृढ़ीकरण स्टील (Reinforcement Steel) की आपूर्ति एवं रखने (Placing) की दर कथित रूप से 70,000 रु. प्रति मीट्रिक टन तय की गई थी। इस प्रकार, एक निजी फर्म के आरोपी साझीदार ने जाली चालान प्रस्तुत करके कथित रूप से 84,05,880 रु. का लाभ प्राप्त करते हुए ईपीआईएल को इसी प्रकार सदोषपूर्ण हानि पहुंचाई। इसीलिए केस दर्ज कर छापेमारी की गई है। अभी आरोपियों की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।

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