आम चुनाव

बिलासपुर में मोइली के सामने नेताओं का फूटा गुस्सा, कहा- तालमेल नहीं, प्रत्याशी भी बाहरी

ज्यादातर कांग्रेसियों ने संगठन के कामकाज और तौर-तरीके पर उठाई उंगलियां

कांग्रेस की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के प्रमुख तथा कर्नाटक के पूर्व सीएम वीरप्पा मोइली ने शनिवार को बिलासपुर-सरगुजा की लोकसभा सीटों पर हार के कारणों पर मंथन किया, तो कई कांग्रेसियों का गुस्सा फूट पड़ा। मोइली के साथ हरीश चौधरी भी बिलासपुर पहुंचे हैं। उनके सामने ज्यादातर कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा और लोकसभा, दोनों ही चुनावों में हार के कारणों पर एक साथ ही बात रख दी। सूत्रों के अनुसार कई नेताओं ने कहा कि विधानसभा चुनाव में सत्ता और संगठन का तालमेल नहीं था, इसलिए हार गए और तालमेल का यह अभाव लोकसभा चुनाव तक चलता रहा। लोकसभा चुनाव में हार को लेकर कई कांग्रेसियों ने संगठन की तरफ उंगलियां उठाईं और कहा कि जब संगठन के लोग ही चुनाव लड़ने के गुणा-भाग में लगे रहेंगे तो प्रत्याशी भी देर से उतारे जाएंगे और तैयारी भी नहीं हो पाएगी। यह हार की बड़ी वजह बना।

बाहर से प्रत्याशी भेजे, तालमेल ही नहीं बिठा पाए

    वीरप्पा मोइली, हरीश चौधरी के साथ विधायक अटल श्रीवास्तव

बिलासपुर और जांजगीर के कुछ कांग्रेसियों ने बाहर से भेजे गए उम्मीदवारों पर सवाल उठाते हुए कहा कि दोनों ही सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी और स्थानीय कार्यकर्ताओं में अंतिम दिन का तालमेल ही नहीं हो पाया, जो हार की वजह बना। रायगढ़ संसदीय सीट से जुड़े कांग्रेस नेताओं से बातचीत शुरू हुई, इसलिए बीच वीरप्पा मोइली शाम करीब 5 बजे संगठन से जुड़े किसी कार्य की वजह से रायपुर रवाना हो गए। ऐसे में वहां के कांग्रेसियों की बातें चौधरी ने सुनीं। बिलासपुर में वीरप्पा मोइली और चौधरी ने वन-टू-वन बातचीत का सिस्टम तय कर दिया है। लोकसभा के प्रत्याशियों, संबंधित क्षेत्र के विधायकों और जिलाध्यक्षों के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख पदधारियों से उन्होंने एक-एक कर बातचीत की। बताते हैं कि इस दौरान लोगों ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सामने हार के कारणों पर खुलकर बात की। लेकिन ज्यादातर के निशाने पर पार्टी संगठन ही रहा।

डा. महंत और टीम ने भी बात की मोइली से

छत्तीसगढ़-एमपी में कांग्रेस से एकमात्र सांसद चुनाव जीतने वाली ज्योत्सना महंत तथा उनके पति छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष डा. चरणदास महंत भी बिलासपुर पहुंचे हैं। उन्होंने अलग-अलग दलों के साथ मोइली से मुलाकात की। डा. महंत और मोइली के बीच क्या बात हुई, यह स्पष्ट नहीं है। हालांकि उनके साथ जो लोग आए थे, उनका कहना था कि कोरबा लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस कोरबा शहर में बुरी तरह पिछड़ी लेकिन ग्रामीण इलाकों में तगड़े समर्थन के कारण अच्छी लीड से जीतने में कामयाब रहे। कोरबा ही नहीं, कांग्रेस को इस बात पर मंथन करना चाहिए कि गांवों में तो कांग्रेस अच्छी तरह जीत रही है, लेकिन छत्तीसगढ़ के शहरों में क्यों हार रही है।

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