बिलासपुर हाईकोर्ट ने पूरे किए 25 साल… समारोह में राज्यपाल डेका और सीएम साय हुए शामिल

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्थापना के 25 साल पूरे होने जा रहे हैं। इस मौके पर बिलासपुर हाईकोर्ट परिसर में रजत जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका और सीएम विष्णुदेव साय समेत कई मंत्री भी शामिल हुए। हाईकोर्ट के न्यायाधीशों ने । उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने पौधे एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। रजत जयंती समारोह पर केंद्रित स्मारिका का विमोचन भी किया।
समारोह के मुख्य अतिथि राज्यपाल डेका ने कहा कि 1 नवम्बर 2000 को जब छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई, तब शासन के साथ-साथ न्याय के क्षेत्र में भी एक नई शुरुआत हुई। तभी से यह न्यायालय संविधान का व्याख्याकार, नागरिक अधिकारों का संरक्षक और न्याय का प्रहरी बनकर खड़ा है। राज्यपाल डेका ने लोक अदालत के अंतर्गत लंबित मामलों के हो रहे त्वरित निराकरण के लिए न्यायपालिका की सराहना की। उन्होंने न्यायपालिका में नैतिकता, सुदृढ़ीकरण और न्यायपालिका के लंबित मामलों को कम कर आम जनों को त्वरित न्याय उपलब्ध कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि न्याय केवल सामर्थ्यवान लोगों के लिए ही उपलब्ध नहीं हो बल्कि गांव गरीब एवं आमजनों के लिए भी सर्व सुलभ न्याय उपलब्ध हो तभी इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायपालिका की भूमिका सार्थक बनेगी।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर पर कहा कि हमारा प्रदेश छत्तीसगढ़ अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा है। यह शुभ अवसर हमारे हाईकोर्ट की रजत जयंती का भी है। यह वर्ष हमारी विधानसभा का रजत जयंती वर्ष भी है। इन सभी शुभ अवसरों पर मैं आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूँ।. उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर की नगरी को एक नई पहचान दी है।
रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए सीएम साय ने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों की उपलब्धता के साथ ही हम किसी भी हालत में समय पर न्याय उपलब्ध कराने के लिए कटिबद्ध हैं। इसी क्रम में हमने वर्ष 2023-24 की तुलना में विधि एवं विधायी विभाग के बजट में पिछले साल 25 प्रतिशत और इस वर्ष 29 प्रतिशत बढ़ोतरी की है। यह पूरे प्रदेश के लिए गौरव की बात है कि इस पीठ के न्यायाधीश जस्टिस ए.एम. खानविलकर, जस्टिस नवीन सिन्हा, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस भूपेश गुप्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा जैसे न्यायाधीश देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुँचे। न्यायिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वर्चुअल कोर्ट और लाइव स्ट्रीमिंग जैसे डिजिटल नवाचारों को बढ़ावा दिया है। साथ ही डिजिटल रिकॉर्ड रूम, आधार आधारित सर्च और न्यायिक प्रशिक्षण के नए माड्यूल भी अपनाये जा रहे हैं। अपने 25 वर्षों की इस गौरवशाली यात्रा में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ऐसे उल्लेखनीय फैसले दिये हैं जो देश भर में नजीर के रूप में प्रस्तुत किये जाते हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्थापना के बाद छत्तीसगढ़ के युवाओं में लॉ प्रोफेशन की ओर भी रुझान बढ़ा है। इससे उन्हें करियर के नये अवसर मिल रहे हैं।
समारोह में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके माहेश्वरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और यह धान्य पूर्णता की ओर ली जाती है। जहां धर्म है वहां विजय है। हमार सच्चा कर्म और विचार ही धर्म है। चेतना ही सहज धर्म से जोड़ती है। अगले 25 साल में हम न्यायपालिका को कहां रखना चाहते है इस पर विचार और योजना बनाने का समय है। आम आदमी कोर्ट के दरवाजे पर एक विश्वास के साथ आता है उस मूल भावना के साथ कार्य करें। उन्होंने न्याय व्यवस्था से जुड़े बेंच, बार और लॉयर को विजन के साथ आगे बढ़ने प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सभी समेकित विजन बनाएं ताकि न्यायपालिका अपने जनकल्याण के अंतिम उद्वेश्य तक पहुंच सके।
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा ने स्वागत भाषण दिया। न्यायालय की स्थापना के रजत जयंती अवसर पर सभी अतिथियों और उपस्थित जनों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का रजत जयंती कार्यक्रम निश्चित रूप से हम सभी के लिए गौरवशाली क्षण है। पिछले 25 वर्षों में न्यायालय ने विधि के शासन को स्थापित करने बेहतर कार्य किया है। उन्होंने न्यायालय की स्थापना से लेकर अब तक उपलब्धि एवं कामकाज में आए सकरात्मक बदलाव से सभा को अवगत कराया।
समारोह के अंत में न्यायाधीश श्री संजय के अग्रवाल ने आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री अरूण साव, श्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी, विधि विधायी मंत्री श्री गजेन्द्र यादव, मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री एम.एम. श्रीवास्तव, तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सैम कोसी, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश श्री यतीन्द्र सिंह, पूर्व राज्यपाल श्री रमेश बैस, मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, डीजीपी श्री अरूणदेव गौतम, महाधिवक्ता श्री प्रफुल्ल भारत, विधायक श्री धरमलाल कौशिक, श्री अमर अग्रवाल, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष श्री चंदेल सहित अन्य न्यायाधीश, अधिवक्ता, जन प्रतिनिधिगण तथा न्यायिक सेवा से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे।