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कुमारमंगलम बिड़ला और गोदरेज की तान्या दुबाश से सीएम साय के विचार-मंथन के बड़े मायने… इन घरानों से प्रदेश में बड़े निवेश की उम्मीद

आदित्य बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन कुमारमंगल बिड़ला और गोदरेज ग्रुप की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर तान्या दुबाश से छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय की गुरुवार को मुंबई में न केवल मुलाकात हुई है, बल्कि लंबी बातचीत भी हुई है। बिड़ला घराने के प्रमुख तथा गोदरेज घराने के प्रमुखों में शामिल लोगों से हुए विचार-विमर्श का ब्योरा आना बाकी है। लेकिन इन मुलाकातों को मुंबई के आर्थिक विश्लेषक छत्तीसगढ़ के लिए बेहद महत्वपूर्ण मान रहे हैं। छत्तीसगढ़ विकासशील राज्य है, यहां अपार संभावनाएं हैं और आर्थिक तरक्की में जरूरत केवल बड़े निवेश और साहसिक प्रयासों की है। ये दोनों ही घराने ऐसा कर पाने में सक्षम हैं। इस मुलाकात के तीन दिन पहले अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी भी सीएम साय से मिलकर गए हैं। ग्रुप ने छत्तीसगढ़ की अपनी संस्थाओं में साढ़े 6 हजार करोड़ रुपए के एक्सटेंशन प्लान को अंतिम रूप दिया है।

छत्तीसगढ़ में वित्तीय तथा औद्योगिक मामलों की जानकारी रखनेवालों का कहना है कि अभी बिड़ला ग्रुप छत्तीसगढ़ में एक सेक्टर में काम कर रहा है। गोदरेज ग्रुप की ओर से अभी यहां कोई बड़ा निवेश नहीं है। लेकिन जानकारों के अनुसार औद्योगिक नीति, रियायतें और परिस्थितियां अनुकूल पाए जाने पर दोनों ही समूह छत्तीसगढ़ में बड़ी आसानी से हजारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट लांच कर सकते हैं। ऐसे प्रोजेक्ट प्रदेश की फाइनेंशियल ग्रोथ के साथ-साथ रोजगार के बड़े मौके पर भी उपलब्ध करवा सकते हैं। इस लिहाज से सीएम साय की इन मुलाकातों से राज्य के रणनीतिकार बड़े मायने निकाल रहे हैं। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के डिप्लोमैट्स अगर इन मुलाकातों को लेकर भविष्य की रणनीति बनाते हैं और बहुत अच्छी तरह से फ्रेमवर्क करके इन्हें अंजाम तक पहुंचा पाते हैं, तो यह मुलाकातों प्रदेश के आर्थिक भविष्य के लिए न सिर्फ बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं, बल्कि राज्य की ग्रोथ को एक नए सोपान तक भी पहुंचा सकती हैं। देश में जिस तरह के विकास माडल पर बात हो रही है, सत्ताधीशों और औद्योगिक घरानों के बीच इस तरह की बारंबार चर्चाएं तरक्की के द्वार भी खोल सकती हैं। एक वर्ग का यह भी कहना है कि औद्योगिकीकरण से दिक्कत नहीं है, बशर्ते कि इससे राज्य के प्राकृतिक संसाधन प्रभावित न हों। यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, और कार्पोरेट वर्ल्ड के जानकार अब यह भी मान रहे हैं कि देश में ऊंचे स्तर पर कार्पोरेट सेक्टर ज्यादातर ऐसे विवादों से दूर रहना चाहता है, जिससे उनके प्रोजेक्ट प्रभावित हों या बंद होने के कगार पर पहुंचें। क्योंकि इससे उनकी ग्रोथ और प्रतिष्ठा, दोनों पर असर पड़ने की आशंका रहती है। बहरहाल, सीएम साय का कुमारमंगलम बिड़ला और तान्या दुबाश से हुआ विचार-मंथन प्रदेश को किस ओर ले जा सकता है,  इस पर भी बड़े वर्ग की नजर है।

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