स्याह पिछड़ेपन को रोशनी से जोड़ता खूबसूरत पुल… बस्तर में बन रही रेल लाइन का सुंदर नजारा

ये पुल बस्तर में तारोकी को राजघाट से जोड़ने वाली रेल लाइन पर बना है। 95 किमी की यह रेलवे लाइन बेहद घने जंगलों और पहाड़ों से गुज़र रही है। ऐसे इलाके से, जहां कभी नक्सलियों की वजह से सरकार और विकास का पहुंच पाना मुमकिन नहीं था। ये रेलवे की कामयाबी ही कही जाएगी कि ऐसे बीहड़ में 77.5 किलोमीटर लाइन का काम पूरा हो गया। कई बड़े और छोटे पुल बन गए हैं, जो जंगल-पहाड़ों के बीच मनोरम दृश्य बनाते हैं। पुल भी कम नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में हैं। 95 किमी में 16 बड़े पुल, 19 रोड ओवरब्रिज, 45 रोड अंडर ब्रिज और 176 छोटे पुल बन रहे हैं। सिर्फ 17.5 किमी लंबे तारोकी–रावघाट में ही 3 प्रमुख पुल, 5 रोड ओवर ब्रिज, 7 रोड अंडर ब्रिज और 49 छोटे पुल बनाए जा रहे हैं। ऐसा नहीं सोचिए के पुल या लाइन बनाना आसान है। काम के दौरान नक्सली 12 हमले कर चुके हैं, जिनमे 4 मजदूरों की जानें गई हैं।
दिसम्बर तक चलने लगेंगी ट्रेनें
बड़े और छोटे पुलों के साथ-साथ ट्रैक बिछाने का काम अब अंतिम चरण में है, जिससे इस महत्वाकांक्षी परियोजना के दिसंबर तक पूर्ण होने की दिशा में ठोस प्रगति हुई है। इस रेल परियोजना के पूरा होने से बस्तर पहली बार रायपुर से सीधे द्वारा जुड़ जाएगा। इससे बस्तर आने-जाने वाले यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ेंगी। खनिज परिवहन की दिशा में नई गति मिलेगी। बस्तर के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में यह कनेक्टिविटी एक बड़ा बदलाव लाएगी और स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में सहायक होगी। यह रेलवे लाइन रावघाट लौह अयस्क खदानों और सेल/भिलाई इस्पात संयंत्र के बीच सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।