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छत्तीसगढ़ में साइबेरिया-मंगोलिया तक के पक्षियों का तीसरा ठिकाना… गिधवा-परसदा और चीचा के बाद अब खोखरा… इन्हें रामसर साइट बनाने की प्रक्रिया शुरू

छत्तीसगढ़ में मंगोलिया से लेकर साइबेरिया तक के पक्षियों के अब तक दो प्रमुख ठिकाने गिधवा-परसदा (बेमेतरा) और चीचा-अचानकपुर (दुर्ग) माने जाते थे, लेकिन तीसरा ठिकाना खोखरा (बलौदाबाजार) भी तलाश लिया गया है। सिर्फ तलाशा ही नहीं गया, बल्कि गिधवा-परसदा के साथ इसे भी अंतरराष्ट्रीय मापदंडों (यूनेस्को) पर आधारित रामसर साइट बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यहां भी घरेलू प्रवासी पक्षियों के अलावा तकरीबन दो दर्जन विदेशी प्रजातियों का नवंबर से मार्च तक काफी मूवमेंट है। इसीलिए इसे रामसर साइट बनाया जा रहा है। यह जानकारी नवा रायपुर में वेटलैण्ड एवं बायोडायवर्सिटी पर हुई हाई लेवल वर्कशाप में  आई। इस वर्कशाप में लसीएम विष्णुदेव साय भी उपस्थित ते। उन्होंने छत्तीसगढ़ के लोगों से आह्वान किया कि वेटलैंड मित्र बनकर छत्तीसगढ़ की बायोडायवर्सिटी को सहेजें।

बायोडायवर्सिटी एवं वेटलैण्ड्स के संरक्षण के उद्देश्य से अरण्य भवन में हुई वर्कशाप में सीएम के अलावा विधानसभा स्पीकर डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, दोनों डिप्टी सीएम अरुण साव एवं विजय शर्मा, मंत्री केदार कश्यप, चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन, एसीएस ऋचा शर्मा, वन बल प्रमुख वी श्रीनिवास राव, पूर्व वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी, पीसीसीएफ अरुण पांडेय तथा जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव राजेश कुमार चंदेले समेत कई वरिष्ठ अफसर तथा विशेषज्ञ उपस्थित थे। कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीएम साय ने कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना केवल आधारभूत ढांचे के विकास से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और जैविक विविधता की रक्षा से ही पूर्ण होती है। उन्होंने आह्वान किया कि हर जनप्रतिनिधि व नागरिक जैव विविधता एवं वेटलैण्ड संरक्षण के लिए व्यक्तिगत दायित्व समझें। वर्कशाप में जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने 1992 के अर्थ सम्मिट, जैव विविधता अधिनियम 2002, राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड की भूमिका और जैव विविधता प्रबंधन समितियों की संरचना एवं कार्यों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य है, जहां जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ प्रभावी रूप से कार्य कर रही हैं। कार्यक्रम में ही जानकारी दी गई कि राज्य का गिधवा-परसदा पक्षी अभ्यारण्य अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित यूनेस्को द्वारा वेटलैंड्स द्वारा रामसर साइट बनने की पात्रता रखता है। इसके अतिरिक्त, बलौदाबाजार जिले के खोखरा ग्राम को छत्तीसगढ़ की पहली रामसर साइट के रूप में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया भी प्रगति पर है।

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