हमारी खदानों ने उगला खजाना… सालभर में 14 हजार करोड़ आय, दंतेवाड़ा टाप पर… सीएम साय की बारीक नजर, सचिव दयानंद की मानीटरिंग का नतीजा

छत्तीसगढ़ की लोहा और दूसरी खदानों ने पिछले एक साल में आमदनी का रिकार्ड बना दिया है। प्रदेश में सालभर में हुई माइनिंग से 14 हजार 195 करोड़ रुपए की रिकार्ड आमदनी हुई है। पिछले साल खनिज आय 12 हजार 795 करोड़ रुपये हुई थी। इस तरह, इस साल आय 11 प्रतिशत ज्यादा रही है। खनिज विभाग छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय के पास है, और वे माइनिंग तथा इससे संबंधित पर्यावरण के मुद्दे पर बारीक नजर रखे हुए हैं। यही वजह है कि सीएम के निर्देश पर खनिज विभाग के सचिव आईएएस पी दयानंद ने खदानों से जुड़े मामलों पर तगड़ी मानीटरिंग भी की है।
छत्तीसगढ़ को सालभर में खदानों से जितनी आमदनी हुई है, उसका 40 फीसदी से ज्यादा हिस्सा दंतेवाड़ा जिले से मिला है और खनिज राजस्व के मामले में यह जिला टाप पर बना हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक दंतेवाड़ा में लोहे के अकूत भंडार से सरकार को सालभर में 6580 करोड़ रुपए की आमदनी हुई है। कोरबा की खदानों से 2148 करोड़, रायगढ़ से 2027 करोड़, बालोद से 1313 करोड़, सरगुजा से 585 करोड़, बलौदाबाजार से 354 करोड़, कांकेर से 328 करोड़ तथा सूरजपुर की खदानों से सरकार को 155 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है।
छोटा राज्य, पर देश की आय में 16 प्रतिशत हिस्सा
छत्तीसगढ़ छोटा राज्य है। देश के कुल क्षेत्रफल के 4 प्रतिशत हिस्से में ही छत्तीसगढ़ है, लेकिन देशभर के खनिज उत्पादन में प्रदेश की बड़ी हिस्सेदारी है। छत्तीसगढ़ देशभर के खनिज उत्पादन मूल्य का 16% से अधिक उत्पादन किया है। प्रदेश में आयरन ओर, कोयला, चूनापत्थर और बाक्साइट के विशाल भंडार हैं। ये खनिज से होने वाली आय के प्रमुख स्त्रोत भी हैं। यही नहीं, राज्य में सामरिक महत्व के खनिजों सहित कुल 28 प्रकार के खनिज भंडार की पुष्टि हो चुकी है। वर्ष 2015 से खनिज विभाग ई-नीलामी से खदानों का आवंटन कर रहा है। इससे भी रॉयल्टी तथा प्रीमियम बढ़ गया है। ई-नीलामी से लगातार बढ़ती आय अब नजर आने लगी है। बता दें कि राज्य शासन खनिज राजस्व का 5 प्रतिशत हिस्सा “खनिज विकास मद” में ट्रांसफर कर देता है। इस पैसे से दूरस्थ अंचलों में खनिज संसाधनों के विकास और अधोसंरचना निर्माण का कार्य किया जा रहा है।
सिर्फ आय नहीं, दूरस्थ क्षेत्रों में विकास का इंजन
सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ की धरती केवल खनिज संपदा से नहीं, विकास की असीम संभावनाओं से समृद्ध है। पिछले साल 14,195 करोड़ रुपए का रिकॉर्ड खनिज राजस्व हासिल करने की उपलब्धि हमारी दूरदर्शी नीतियां, पारदर्शी प्रशासन, और ईमानदार कार्यसंस्कृति का प्रतिफल है। ई-नीलामी प्रणाली, तकनीकी नवाचार और सुशासन के माध्यम से हम खनिज क्षेत्र को केवल राजस्व संग्रहण का माध्यम नहीं, बल्कि दूरस्थ अंचलों के लिए विकास के इंजन के रूप में परिवर्तित कर रहे हैं।