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राजधानी में कैमरों का IRON DOM बनाने की कोशिश… आईटीएनएस के 500 चालू, 1000 और लगेंगे… SSP डा. लाल उमेद बोले- हर क्राइम का फूटेज मिलना चाहिए

राजधानी रायपुर में पिछले दो माह में धनेली और कमल विहार के दो ब्लाइंड मर्डर, 24 घंटे में अनुपम नगर डाके के सभी आरोपियों की गिरफ्तारी तथा कई बड़ी चोरियों के खुलासे में रायपुर पुलिस को क्राइम ब्रांच और साइबर पुलिस के बड़े टेक्निकल एनलिसिस के साथ-साथ बहुत बड़ी मदद सीसीटीवी कैमरों से मिली है। हर क्राइम के तुरंत बाद हजारों कैमरों की जांच का सिस्टम इतना पुख्ता हो गया है कि वारदात के कुछ मिनट के भीतर क्राइम ब्रांच को एक न एक फूटेज ऐसा जरूर मिल रहा है, जो पुलिस को अपराधियों का पीछा करने में मदद कर रहा है। एसएसपी डा. लाल उमेद सिंह का कहना है कि राजधानी में आईटीएनएस के सभी 500 हाईटेक कैमरे चालू कर लिए गए हैं। इसके अलावा घरों-दुकानों में 10 हजार के आसपास कैमरे हैं और लोग पुलिस को भरपूर मदद कर रहे हैं। पुलिस संवेदनशील प्वाइंट्स पर एक हजार और कैमरे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। यह इसलिए किया जा रहा है, ताकि अगले एक माह के भीतर रायपुर पुलिस इस स्थिति में पहुंच जाए कि किसी भी कोने में क्राइम हो, अपराधियों का एक न एक फूटेज मिल जाए, जिसका पीछा करते हुए पुलिस जल्दी ही अपराधियों के गिरेबान तक पहुंचे।

रायपुर क्राइम ब्रांच ने कैमरों का सबसे बड़ा इस्तेमाल पीआरए कंस्ट्रक्शन में हुई गोलीबारी के बाद किया था। हजारों सीसीटीवी फूटेज का अध्ययन करके 48 घंटे में ही पुलिस शूटरों के झारखंड और राजस्थान से लेकर हरियाणा तक के गांवों में पहुंच गई और कुछ दिन में गिरफ्तारियां शुरू कर दी गई थीं। इस केस में झारखंड के खूंखार गैंगस्टर अमन साव तक को कनेक्ट करते हुए रायपुर ले आया गया। डा. लाल उमेद सिंह ने बतौर एसएसपी रायपुर का चार्ज लिया ही था कि उनके सामने धनेली में मां-बेटी के ब्लाइंड मर्डर की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई थी क्योंकि इसमें आरोपियों का अता-पता नहीं था। इस मामले में भी क्राइम ब्रांच ने हजारों फूटेज चेक किए और आखिरकार ऐसे अपराधी तक पहुंची, जो मारी गई महिलाओं के पड़ोस में बरसों पहले रहता था। कमल विहार में सरस्वतीनगर इलाके की युवती की हत्या का मामला भी ऐसा ही था जिसमें कोई सुराग नहीं था। पुलिस को एक दिन की तफ्तीश के बाद केवल यही पता लगा था कि युवती स्टेशन के आसपास रहती है। क्राइम ब्रांच ने युवती की मृत्यु के 10 दिन पहले से सुराग के लिए कैमरे खंगालने शुरू किए थे। इस एक हफ्ते में वह कहां-कहां गई और कब-कब लौटी, क्राइम ब्रांच और साइबर पुलिस की टीमें हफ्तेभर तक इसका अध्ययन करती रहीं। आखिरी रात वह एक डिजायर टैक्सी से निकली थी, जो पचपेड़ीनाका के आगे तक कैमरों में दिखी। पुलिस की टीमों ने इस आधार पर 4 हजार से ज्यादा डिजायर टैक्सियों के डीटेल निकाल लिए और जीरोइंग करते हुए आरोपी तक पहुंची, जो रायपुर का नहीं था और उस पर किसी की शक भी नहीं था। इसी तरह, अनुपम नगर डकैती में भी पुलिस को रिट्ज का फूटेज कई जगह मिल गया था, लेकिन नंबर नहीं था। मारुति रिट्ज माडल बंद कर चुकी है, इसलिए इस माडल की 10 साल पहले तक हुई बिक्री का रिकार्ड निकाला गया। इसका एनलिसिस करते हुए पुलिस एक आरोपी त्रिपाठी तक पहुंची और पति-पत्नी को दबोचने के बाद मामला खुल गया।

द स्तम्भ से बातचीत करते हुए एसएसपी डा. लाल उमेद सिंह ने बताया कि राजधानी रायपुर में जघन्य अपराधों के नियंत्रण में सीसीटीवी कैमरों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है, इसलिए पुलिस ने कैमरों पर फोकस किया है। इस वक्त तक शहर का करीब 75 फीसदी इलाका सीसीटीवी कैमरों की जद में आ गया है। जिन इलाकों में कैमरे कम हैं, वहां पुलिस ने बाकायदा सर्वे कर ऐसी जगहें ढूंढी हैं, जहां कैमरे लगाने से एक कैमरा काफी बड़ा हिस्सा कवर कर लेगा। एक हजार कैमरे इसी सर्वे के आधार पर लगाए जा रहे हैं। इनके लगने के बाद उम्मीद है कि शहर में कोई भी अपराध हुआ, तो उसका एक न एक फूटेज मिल ही जाएगा, जो किसी भी केस को सुलझाने के लिए जितने महत्वपूर्ण सुराग हो सकते हैं, उनमें से एक साबित होगा।

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