छत्तीसगढ़ में इतना धान, सारे रिकार्ड ढेर… पिछले साल का आंकड़ा पार, और 7 दिन बचे… किसानों को 30 हजार करोड़ का भुगतान… बाकी 800 रु. वाला पेमेंट फरवरी अंत तक
छत्तीसगढ़ में पिछले सीजन में जितना धान पैदा हुआ और बेचा गया, उसने राज्य बनने के बाद से लेकर अब तक के धान की पैदावार के सारे रिकार्ड धराशायी कर दिए हैं। पिछले साल सरकार ने 144.9 लाख टन धान खरीदा था। इस बार 24 जनवरी को यह आंकड़ा 145 लाख टन के पार हो गया है। सरकार अभी 31 जनवरी तक धान खरीदनेवाली है, अर्थात रोजाना एक-डेढ़ लाख टन के औसत से यह आंकड़ा इस बार डेढ़ करोड़ टन से पार होने की पूरी संभावना है। पौने 2 करोड़ टन तक भी पहुंच सकता है। छत्तीसगढ़ में धान की इतनी बड़ी पैदावार अब तक नहीं हुई है, जितनी इस बार हुई है। अब तक 25 लाख से ज्यादा किसान अपना धान बेच चुके हैं। उन्हें समर्थन मूल्य यानी 2300 रुपए के भाव से विष्णुदेव साय सरकार साढ़े 29 हजार करोड़ रुपए भुगतान के तौर पर खाते में भेज चुकी है। सरकार ने 31 सौ रुपए क्विंटल के भाव से धान खरीदने की गारंटी दी थी, अर्थात हर क्विंटल के पीछे किसानों को 800 रुपए देना बाकी है। साय सरकार ने इस पेमेंट के इंतजाम भी शुरू कर दिए हैं और माना जा रहा है कि फरवरी के तीसरे सप्ताह में किसानों के खाते में प्रति क्विंटल 800 रुपए के हिसाब से पेमेंट ट्रांसफर हो जाएगा।
छत्तीसगढ़ में धान की इकानामी में पिछले कुछ साल में कितनी तेज ग्रोथ हुई है, यह आंकड़े उसके सबूत हैं। धान के मामले में जो लोग बहुत अधिक जानते हैं, वे यह तर्क भी देते हैं कि इसमें अड़ोस-पड़ोस के राज्यों का थोड़ा धान भी होगा। लेकिन जानकारों का कहना है कि अगर सख्त चेकिंग के बाद भी पड़ोसी राज्यों से धान पहुंचा तो यह मात्रा सब मिलाकर लाख-पचास हजार टन से ज्यादा नहीं हो सकती, और अगर बाहर का धान आ रहा है तो ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है। ऐसा हर साल और हर सरकार में होता है। अर्थात, जिस तरह की बंपर खरीदी चल रही है और 31 जनवरी को जो स्थिति बनेगी, उसके आंकड़े धान के जबर्दस्त उत्पादन के तथ्य को झुठला नहीं सकते और अगर इस मात्रा को लेकर राजनीतिक बयान आते हैं, तो विशेषज्ञों के अनुसार यह हास्यास्पद ही होंगे। बहरहाल, खाद्य विभाग के अफसरों ने जो आंकड़े बताए हैं, उनके मुताबिक अब तक प्रदेश के 25 लाख 13 हजार किसान 1 करोड़ 45 लाख टन से ज्यादा धान बेच चुके हैं। इसके बदले में किसानों को 29 हजार 599 करोड़ रूपए का भुगतान कर दिया गया है, जो उनके खातों में पहुंच रहा है या एक-दो दिन में आ जाएगा। धान इतना आ रहा है कि संग्रहण केंद्रों में रोज पहाड़ लग रहा है, इसलिए सरकार ने राइसमिलों में इसे भेजने के इंतजाम भी तेज रखे हैं। अब तक राइस मिलर्स को 110 लाख टन धान उठाने की पर्ची दी जा चुकी है और प्रदेश की 2900 से ज्यादा राइस मिलों में अब तक 87 लाख टन धान मिलिंग के लिए भी पहुंच गया है।