रायपुर एयरपोर्ट से जिस व्यक्ति को बम की अफवाह में अरेस्ट किया गया था, वह आईबी अफसर निकला… डीजे कोर्ट से भी नहीं मिली जमानत
रायपुर एयरपोर्ट पर 14 नवंबर को बम की सूचना पर नागपुर-कोलकाता फ्लाइट की इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई थी। इस मामले की जांच के बाद पुलिस ने उसी विमान में सफर कर रहे अनिमेष मंडल नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। अब यह बात बाहर आई है कि जिस अनिमेष मंडल को बम की अफवाह के आरोप में अरेस्ट कर जेल भेजा गया था, वह खुद नागपुर में सेंट्रल आईबी के डिप्टी इन्वेस्टिगेशन अफसर हैं। इस बारे में द स्तंभ ने एएसपी कीर्तन राठौर से बात की। उन्होंने कहा कि मंडल को पूरी तहकीकात और सबूतों के आधार पर ही अरेस्ट किया गया था। उसी समय रायपुर पुलिस की जानकारी में था कि वह आईबी अफसर है।
किसी भी केंद्रीय जांच एजेंसी के अफसर की रायपुर में गिरफ्तारी को बड़ी घटना माना जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने उसी दिन इसका खुलासा होने के बाद आईबी को खबर दे दी थी। आईबी अफसरों ने मंडल से पूछताछ भी की थी। केबिन क्रू के बयान तथा अन्य सबूतों के आधार पर यह स्पष्ट था कि बम की सूचना मंडल ने ही दी थी। रायपुर पुलिस के आला अफसरों ने गिरफ्तारी के समय फूंक-फूंककर कदम रखा, क्योंकि मामला आईबी अफसर से जुड़ा था। पुख्ता केस बनाकर मंडल को रायपुर की कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। आईबी अफसर मंडल अब भी न्यायिक हिरासत में जेल में हैं। सीनियर वकील फैसल रिजवी ने पुष्टि की कि मंडल की पत्नी ने आईबी अफसर होने के प्रमाण के तौर पर कई दस्तावेज जमा किए। इस आधार पर सोमवार को रायपुर डीजे की अदालत में जमानत की अर्जी दी गई। लेकिन मामला संवेदनशील है, इसलिए मंडल को जमानत नहीं मिल पाई है।
रायपुर ही नहीं, छत्तीसगढ़ का पहला अनूठा केस
इस मामले में एक और बड़ा पेंच यह भी आया है कि विमानसेवा से जुड़े सिविल एविएशन के मुद्दों की सुनवाई के लिए अलग अदालत गठित की गई है। इस अदालत की बेंच रायपुर तो दूर, पूरे छत्तीसगढ़ में नहीं है। जाहिर है कि जमानत या केस की सुनवाई के लिए मामला ऐसे शहर में ट्रांसफर करना होगा, जहां सिविल एविएशन मामलों से जुड़ी अदालत या उसकी बेंच है। इस तरह, यह पूरा मामला कोर्ट परिसर और वकीलों में चर्चा का विषय है। वकीलों का कहना है कि रायपुर में ऐसा मामला इससे पहले कभी नहीं आया है।