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कोरबा के कांग्रेसी मेयर को हाईकोर्ट से बड़ी राहतः जाति प्रमाणपत्र रद्द करने पर अगली सुनवाई तक लगाई गई रोक

कोरबा के कांग्रेसी महापौर राजकिशोर प्रसाद को जाति प्रमाणपत्र के मामले में हाईकोर्ट ने गुरुवार को बड़ी राहत दी है। महापौर प्रसाद का जाति प्रमाणपत्र हफ्ताभर पहले यानी 21 अगस्त को छत्तीसगढ़ की उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने निरस्त कर दिया था। इससे महापौर कुर्सी खतरे में आ गई थी। इस फैसले के खिलाफ मेयर की तरफ से हाईकोर्ट में अपील की गई थी। छत्तीसगढ़ के पूर्व महाधिवक्ता तथा सीनियर अधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने द स्तंभ को बताया कि गुरुवार को हाईकोर्ट के जस्टिस पार्थप्रीतम साहू ने इस मामले की सुनवाई की। इसके बाद जस्टिस साहू ने उच्चस्तरीय छानबीन समिति के जाति प्रमाणपत्र को निरस्त करने के फैसले पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक लगा दी है। इस रोक के कारण मेयर प्रसाद पर मंडरा रहा कुर्सी छोड़ने का खतरा फिलहाल टल गया है।

कोरबा नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद के बाद ओबीसी का जाति प्रमाणपत्र था। मूलतः बिहार के रहनेवाले प्रसाद को कोहरी जाति का ओपीसी का प्रमाणपत्र जारी किया गया था। इसी प्रमाणपत्र के आधार पर उन्होंने ओबीसी प्रत्याशी के तौर पर 2019 में चुनाव लड़ा और जीता था। लेकिन उनकी जाति को लेकर लगातार शिकायतें की जा रही थीं। इस आधार पर प्रदेश की उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने जांच की थी। 21 अगस्त को समिति ने मेयर प्रसाद के ओबीसी प्रमाणपत्र को निरस्त करने का फैसला किया। इसके बाद कोरबा में राजनैतिक बवाल मच गया था और समूचा विपक्ष मेयर को तुरंत हटाने तथा कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा था। जाति प्रमाणपत्र रद्द होने से उनकी कुर्सी से लेकर सैलरी तथा अन्य सुविधाएं भी संकट में आ गई थीं। हाईकोर्ट के रोक के फैसले के बाद फिलहाल मेयर प्रसाद की कुर्सी का संकट टल गया है।

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