टाइगर चाहे जहां से आया, हमारा हो गया… बारनवापारा में रुका तो है, पर ध्यान नहीं दिया तो कहना पड़ेगा- एक था टाइगर…
चलो, छत्तीसगढ़ में एक टाइगर तो बढ़ा। बारनवापारा में मार्च में बड़ा और बेहद खूबसूरत टाइगर सबसे पहले एक टीचर ने देखा था, फिर वह बार-बार नजर आने लगा। टाइगर विशेषज्ञों का मानना था कि लगे हुए दूरदराज जंगल से खाने की तलाश में आया होगा, कुछ दिन में चला जाएगा। फिर भी, उसकी निगरानी चलती रही। बारिश का सीजन शुरू होने से पहले वन अफसरों को लगा था कि जहां से भी आया होगा, अब चला जाएगा। और अगर नहीं गया, तो फिर यहीं रुक जाएगा। अब अफसरों को लगता है कि ऐसा हो गया है, टाइगर रुक गया है। आईएफएस मयंक अग्रवाल ने द स्तंभ को बताया कि शुक्रवार रात वन विभाग की पेट्रोलिंग कर रही टीम ने इसे सड़क के किनारे आराम से बैठे देखा है। बारनवापारा में लगे ट्रैप कैमरों में यह लगातार दिख रहा है। हेल्दी और स्ट्रांग बना हुआ है, क्योंकि बारनवापारा में उसका भोजन और पानी, दोनों पर्याप्त हैं। फिलहाल मान सकते हैं कि बारनवापारा के पास एक टाइगर हो गया है।
वन्य प्राणी विशेषज्ञों की एक और थ्योरी है। उनका कहना है कि टाइगर बार में अकेला रहेगा तो ज्यादा दिन रुकना मुश्किल है। साल-छह महीने में बौराकर या तो हिंसक होने लगेगा, या जोड़ीदार की तलाश में कहीं भी निकल लेगा। इसे रोकने के लिए जरूरी होगा कि यहां कोई शेरनी भी हो। यह कैसे होगा, इस पर वन विभाग के अफसर फिलहाल चुप हैं। लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस टाइगर के स्थायी पुनर्वास के लिए अब इस बारे में सोचना होगा। कहीं न कहीं से टाइग्रेस लानी होगी। कहने में तो यह आसान लगता है, लेकिन उतना है नहीं। दिक्कत ये है कि यह चिड़ियाघर की नहीं हो सकती, क्योंकि जंगल के माहौल में जल्दी ढल नहीं पाएगी। इसलिए टाइग्रेस किसी और टाइगर रिजर्व से लाई जा सकती है। इसमें भी दिक्कत ये है कि बाहर से आया प्राणी यहां के माहौल में खुद को ढाल पाएगा या नहीं। जोड़ीदार के आपस में एक्सेप्टेंस (स्वीकार्यता) का मामला भी है। एक्सेप्टेंस का मामला जितना इंसानों में नहीं है, जानवरों में उससे ज्यादा है। खैर, यह सब भविष्य की बातें हैं। अभी तो वन विभाग के अफसर नए तमोर-पिंगला टाइगर रिजर्व की कल्पना से खुश हैं। सोमवार को हाथी दिवस मनाने की तैयारी भी कर रहे हैं। बारनवापारा के अकेले टाइगर के बारे में इसके बाद ही विचार शुरू हो सकता है। ऐसा नहीं हुआ तो बारनवापारा अभयारण्य में फिर यही बोर्ड लगाने पड़ेंगे- एक था टाइगर…।