ईडी-ईओडब्लू के वकील डिप्टी एजी सौरभ पांडे ने अप्रैल में मांगी थी सुरक्षा, अब तक नहीं मिली
छत्तीसगढ़ के उप महाधिवक्ता (डिप्टी एडवोकेट जनरल) तथा ईडी और ईओडब्लू में दर्ज ज्यादातर हाईप्रोफाइल केस जैसे कोल स्कैम, आबकारी स्कैम, महादेव एप में इन एजेंसियों की तरफ से जिरह करने वाले वकील सौरभ पांडे ने राज्य शासन को अप्रैल में आवेदन देकर सुरक्षा मांगी थी। उनका तर्क था कि जितने भी मामलों में अभियोजन एजेंसियों के पक्ष में जिरह कर रहा है, सभी न सिर्फ हाईप्रोफाइल हैं, बल्कि अब अलग-अलग राज्यों की अलग एजेंसियां भी इसमें शामिल हो रही हैं। जो हालात हैं, उन्हें देखते हुए लगता है कि सुरक्षा जरूरी है, इसलिए शासन की ओर से इसकी व्यवस्था की जाए। लेकिन हैरतअंगेज बात है कि सारी परिस्थितियों से अवगत होने के बावजूद अब तक उनका आवेदन लंबित ही है।
डिप्टी एजी पांडे ने द स्तंभ से बातचीत में माना कि उन्होंने हाल में नहीं बल्कि अप्रैल में शासन को आवेदन देकर सुरक्षा मांगी थी। कोई ऐसा स्पेसिफिक थ्रेट नहीं है, लेकिन कई शहरों और राज्यों का इन मामलों से संबंध है। एजेंसियों का वकील होने के नाते अलग-अलग शहरों में उनका मूवमेंट है और स्वाभाविक है कि रायपुर से बिलासपुर के बीच का मूवमेंट रात में ही हो सकता है। ऐसे में काफी अरसे से महसूस हो रहा है कि सुरक्षा जरूरी है। कई तरह की आशंकाएं भी रहने लगी हैं, इसलिए सुरक्षा दिया जाना जरूरी है। डिप्टी एजी पांडे ने सुरक्षा मांगी है, इस बारे में जब वरिष्ठ वकीलों से बातचीत की गई, तो उनका कहना था कि हाईप्रोफाइल केसेज में गिरफ्तार करने वाली एजेंसियों तथा शासन की ओर से जिरह करनेवाले वकीलों के लिए यह जरूरी है, क्योंकि उनके पास सुरक्षा का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है, जैसा पुलिस या एजेंसियों के पास रहता है। इसलिए अगर सुरक्षा मांगी जा रही है, तो दी जानी चाहिए।
इंटेलिजेंस का काम सुरक्षा मुहैया करवाना
राज्य शासन के तहत पुलिस के इंटेलिजेंस महकमे का काम सुरक्षा मुहैया करवाना है। सुरक्षा दो तरह से दी जाती है। पहला, जब शासन को खुद महसूस हो कि किसी व्यक्ति को खतरा है, तब वह खुद संज्ञान लेता है। दूसरा, जब कोई व्यक्ति सुरक्षा मांगता है तो यह असेस किया जाता है कि वाकई उसे खतरा है या नहीं, इसके बाद सुरक्षा मुहैया करवाने या नहीं करवाने का फैसला लिया जाता है। यह जिम्मा पुलिस की इंटेलिजेंस विंग का है। डिप्टी एजी सौरभ पांडे का दो माह से ज्यादा पुराना यह आवेदन इस विभाग में कहां लंबित है, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है।