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साइंस कॉलेज चौपाटी पर दिग्गज विधायक मूणत ने उठाए अहम सवाल… भ्रष्टाचार से वसूली तक के आरोप स्मार्ट सिटी के उस शाहकार पर

साइंस कॉलेज चौपाटी का निर्माण नगर निगम के पिछले कार्यकाल के दौरान स्मार्ट सिटी ने किया था। निर्माण शुरू होने के बाद से ही भाजपा, खासकर रायपुर पश्चिम के दिग्गज विधायक और पूर्व मंत्री राजेश मूणत ने इस पर गंभीर सवाल उठाते हुए कड़ा विरोध दर्ज करवाया था। चौपाटी शुरू होने के बाद उनका विरोध और उग्र हुआ था और दुकानों के आवंटन में भारी अनियमितता और वसूली के आरोप भी लग गए थे। चौपाटी को लेकर हुए ताज़ा विवाद के बाद राजेश मूणत ने फिर उन मुद्दों को बिंदुवार उठाया है। उन्होंने दावा किया कि चौपाटी के युवा कारोबारियों को जिस तरह वर्षों तक ठगा गया, आमानाका में शिफ्टिंग के बाद उनके साथ हुए हर अत्याचार का अंत हो जाएगा। वरिष्ठ विधायक की ओर से उठाये गए बिंदुओं पर एक नज़र :-

– Smart city लगभग 5.50 करोड़ रुपये खर्च कर शैक्षणिक संस्थानों से घिरे हुए स्थल पर यूथ हब का निर्माण करती है। निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की आशंका है।

– ⁠उक्त यूथ हब को होटल एवम रिसोर्ट व्यवसायी को बहुत ही मामूली राशि पर संचालन के लिए सशर्त दे दिया गया।

– व्यवसायी ने कथित तौर पर खुले आम शर्तों का उल्लंघन कर यूथ हब को चौपाटी बना कर 25000 रुपए प्रत्येक गुमटी लगभग में किराए पर दे दिया।

– यूथ हब में दुकानें होनी थी। कैमरा लगाना था, नहीं लगा। अग्निशमन यंत्र लगना था, नहीं लगा। उसे जो मामूली राशि स्मार्ट सिटी को देनी थी, नहीं दी गई।

– ⁠भारतीय जनता पार्टी ने प्रारंभ से ही चौपाटी का विरोध किया जिसे अपार जनसमर्थन मिला। जनता ने इसी विश्वास के साथ हमें चुना, ताकि सरकार में आने के बाद यह अवैध चौपाटी हट जायेगी।

दिनांक 3 /7/2024 को व्यवसायी की अधिकारियों के साथ संयुक्त बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि तत्काल उस कियोस्क को आमानाका में शिफ़्ट कर ले। उन्होंने नहीं किया और किरायेदारों को भी नहीं बताया।

6. ⁠उपरोक्त स्थलपर 1000 सीटर नालंदा परिसर का निर्माण कार्य होने की स्थिति में उपरोक्त चौपाटी को लगभग 300 मीटर की दुरी पर पूर्व सूचना दे कर शिफ़्ट किये जाने के लिये कहा गया।

– क्या प्रशासन ने शहर के किसी धरोहर या सांस्कृतिक विरासत को शिफ़्ट कर दिया.?

– हम व्यवसायी के किरायेदारों की चिंता जरुर करेंगे और उनको बिजली पानी और सफ़ाई उपलब्ध कराने का पूरा प्रयास करेंगे ताकि वे समय पर किराया अपने मकान मालिक को ज़रूर पटाएँ।

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