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सत्य की जीत का पर्व… रायपुर में सबसे बड़ा 110 फीट का रावण मिनटों में खाक… प्रदेशभर में अहंकार रूपी रावण का दहन

पूरा छत्तीसगढ़ बुधवार को असत्य और अहंकार पर सत्य की जीत के उल्लास में डूबा रहा। राजधानी रायपुर समेत पूरे प्रदेश में सैकड़ों जगह अहंकार रूपी रावण का पुतला फूंका गया और लोगों ने विजयादशमी की खुशियां मनाईं। सबसे बड़ा 110 फीट का रावण पुतला राजधानी रायपुर में डब्लूआरएस मैदान पर जलाया गया। सीएम विष्णुदेव साय की मौजूदगी में राज्यपाल रमेन डेका ने बटन दबाया और जबर्दस्त आतिशबाजी के साथ रावण का पुतला कुछ मिनट में राख में तब्दील हो गया। इस मौके पर राज्यपाल ने पूरे प्रदेश को विजयादशमी की बधाई दी। सीएम साय ने कहा कि धर्म और न्याय की विजय का प्रतीक विजयादशमी का पर्व आज प्रदेश में हिंसा और भ्रम के अंधकार पर विकास और सुशासन की विजय का प्रतीक बन गया।

राजधानी रायपुर में डब्लूआरएस कालोनी, रावणभाठा, बीटीआई ग्राउंड शंकरनगर, चौबे कालोनी और सप्रे शाला मैदान में विजयादशमी पर रावण दहन के बड़े आयोजन हुए। सभी जगह को मिलाकर दो लाख से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने का अनुमान है। सबसे बड़ा आयोजन हमेशा की तरह डब्लूआरएस कालोनी में हुआ, जहां राज्यपाल और सीएम के साथ कई मंत्री-विधायक भी उपस्थित थे। शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के गांवों से हजारों लोग विजयादशमी उत्सव के लिए रायपुर आते हैं, इस लिहाज से बड़े आयोजन स्थलों के साथ-साथ पूरे शहर में पुलिस ने पुख्ता सुरक्षा और ट्रैफिक इंतजाम कर रखे थे। डब्लूआरएस कालोनी में शाम करीब पौने 7 बजे बूंदाबांदी होने लगी। पिछले दो-तीन दिन से कभी भी बारिश हो जा रही है, इसे ध्यान में रखते हुए वहां रावण दहन शाम 7 बजे संपन्न हो गया। राज्यपाल डेका ने बटन दबाया और भारी आतिशबाजी के साथ रावण का सबसे बड़ा पुतला मिनटों में धराशायी हो गया। अतिथियों का संबोधन पुतला दहन के बाद हुआ, जो रात करीब 8 बजे तक चला।

इस अवसर पर अपने संबोधन में सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि हमारी सरकार की “आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” और “नियद नेल्ला नार योजना” ने लाल आतंक के भ्रम से भटके लोगों के दिलों में विश्वास का दीप जलाया है। “पूना मारगेम अभियान” से प्रेरित होकर बीजापुर में कुल 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वालों में से 49 नक्सली वे भी हैं, जिन पर कुल 1 करोड़ 6 लाख 30 हजार रुपए तक के इनाम घोषित थे। सीएम साय ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले लोगों को नई शुरुआत के लिए 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई है तथा नक्सल उन्मूलन नीति के तहत उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलेगा। अब तक 1890 से अधिक माओवादी मुख्यधारा से जुड़ चुके हैं। यह हमारी नीतियों की प्रभावशीलता और जनता के विश्वास का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

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