अब स्कैमबाजों की करोड़ों वाली कारों पर नजर… ईडी ने पहली बार जब्त कीं पोर्शे काएन और मर्सिडीज बेंज… दवा स्कैम से जुड़ीं दोनों गाड़ियां

छत्तीसगढ़ के रायपुर और दुर्ग शहरों के अलावा राजनांदगांव में भी एक से पांच करोड़ रुपए तक की इतनी कारें और एसयूवी हैं, जितनी देश के महानगरों या 40-50 लाख से ज्यादा आबादी वाले व्यावसायिक शहरों में ही हैं। हालांकि किसी फाइनेंशियल क्राइम में अब तक करोड़ों वाली ऐसी कारें जब्त नहीं हुई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहली बार साढ़े 4 सौ करोड़ रुपए के दवा स्कैम की जांच में डेढ़ करोड़ रुपए से ऊपर की पोर्शे काएन कूपे और मर्सिडीज बेंज जब्त की हैं। दोनों ही कारें दवा घोटाले की सेंटरप्वाइंट कंपनी मोक्षित कार्पोरेशन के नाम से हैं। ईडी के पास यह इन्फर्मेशन भी है कि छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपए वाली सैकड़ों गाड़ियां इंडिविजुअल्स के नाम पर काम, कंपनियों के नाम पर ज्यादा रजिस्टर्ड हैं और फाइनेंस दिखाया गया है। दवा स्कैम में जब्त दोनों कारों में फाइनेंस के बहाने मनीलेयरिंग आशंका जताई गई है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक माह पहले “रीएजेंट प्रोक्योरमेंट स्कैम” की जांच शुरू की है। इस स्कैम में दुर्ग की कंपनी मोक्षित कॉर्पोरेशन केंद्र में है। जांच के बाद इसी फर्म के नाम से रजिस्टर्ड पोर्शे काएन और मर्सिडीज बेंज जब्त की गई हैं। मोक्षित कार्पोरेशन शशांक चोपड़ा और पिता शांतिलाल चोपड़ा के नाम से रजिस्टर्ड है। दरअसल ईडी ने 28 अगस्त को दुर्ग में इस स्कैम में तलाशी अभियान चलाया था। इसी तलाशी के दौरान पीएमएलए, 2002 की धारा 17(1) के तहत दोनों कारों को जब्त किया गया है और इन कारों का सोर्स तलाशा जा रहा है। बता दें कि करीब साढ़े 4 सौ करोड़ के दवा खरीद घोटाले की जांच ACB-EOW ने शुरू की थी। फिलहाल बड़े सप्लायर मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा समेत अन्य 6 लोग जेल में हैं। घोटाले में ईडी की एंट्री 30 जुलाई को हुई थी, जब एजेंसी ने शशांक चोपड़ा, परिवार के सदस्यों और स्वास्थ्य अफसरों के 20 ठिकानों पर छापे मारकर 40 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। तब कारें जब्त नहीं हुई थीं।